अब छेड़ो कोई नया राग, अब गाओ कोई गीत नया। सुलगाओ कोई नयी आग, लाओ कोई संगीत नया। टूटी सी पतवार निशानी रह जायेगी, दरिया की मानिन्द जवानी बह जायेगी, फागुन में खेलो नया फाग, अब गाओ कोई गीत नया। पीछे-पीछे आओ, समय अच्छा आयेगा, सोया स्वप्न-सलोना, सच्चा हो जायेगा, करवट बदलेगा नया भाग, अब गाओ कोई गीत नया। मंजिल चल कर पास स्वयं ही आ जायेगी, आशाओं की किरण, नयन में छा जायेंगी, बालो चन्दा जैसा चिराग, अब गाओ कोई गीत नया। माँ मुझपर कृपादृष्टि कर दो, उर में कुछ शब्दवृष्टि कर दो, मेरा भी जाये भाग्य जाग, मैं भी गाऊँगा गीत नया। अब गाओ कोई गीत नया।। |
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शुक्रवार, 24 अगस्त 2012
"मैं भी गाऊँगा गीत नया" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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क्या कहने
जवाब देंहटाएंअब छेड़ो कोई नया राग,
अब गाओ कोई गीत नया।
सुलगाओ कोई नयी आग,
लाओ कोई संगीत नया।
बहुत सुंदर, क्या कहने
बहुत खूब,,,,प्रेरणात्मक कृति |
जवाब देंहटाएं"मन के कोने से..."
माँ मुझपर कृपादृष्टि कर दो,
जवाब देंहटाएंउर में कुछ शब्दवृष्टि कर दो,
मेरा भी जाये भाग्य जाग,
मैं भी गाऊँगा गीत नया।,,,,,,
लाजबाब पंक्तियाँ,,,
शास्त्री जी,,,,लखनऊ में मिलते है,,,
माँ को प्रणाम |
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर,प्रेरणात्मक रचना शास्त्री जी !
जवाब देंहटाएंvandaneeye aur khubsurat geet....
जवाब देंहटाएंनवल शब्दमय, तन्मय, गतिमय..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और मनभावन प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंमां शारदे वरदान दो.....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर और गेय रचना।
जवाब देंहटाएंहर गीत के साथ एक नया गीत बनता है
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर गीत, शुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएंGreat creation !
जवाब देंहटाएंmaa sarasvati kee vandna aapne bahut hi sundar dhang se kee hai..nice presentation.संघ भाजपा -मुस्लिम हितैषी :विचित्र किन्तु सत्य
जवाब देंहटाएंमाँ मुझपर कृपादृष्टि कर दो,
जवाब देंहटाएंउर में कुछ शब्दवृष्टि कर दो,
मेरा भी जाये भाग्य जाग,
मैं भी गाऊँगा गीत नया।
अब गाओ कोई गीत नया।। आप पर तो सरस्वती का वर्ड हस्त है शब्द चेरे चेरियाँ बन पीछे पीछे चले आतें हैं भावानुरूप .कृपया यहाँ भी पधारें -
गृधसी नाड़ी और टांगों का दर्द (Sciatica & Leg Pain)
गृधसी नाड़ी और टांगों का दर्द (Sciatica & Leg Pain)
सुष्मना ,पिंगला और इड़ा हमारे शरीर की तीन प्रधान नाड़ियाँ है लेकिन नसों का एक पूरा नेटवर्क है हमारी काया में इनमें से सबसे लम्बी नस को हम नाड़ी कहने का लोभ संवरण नहीं कर पा रहें हैं .यही सबसे लम्बी और बड़ी (दीर्घतमा ) नस (नाड़ी )है :गृधसी या सियाटिका .हमारी कमर के निचले भाग में पांच छोटी छोटी नसों के संधि स्थल से इसका आगाज़ होता है और इसका अंजाम पैर के अगूंठों पर जाके होता है .यानी नितम्ब के,हिप्स के , जहां जोड़ हैं वहां से चलती है यह और वाया हमारे श्रोणी क्षेत्र (Pelvis),जांघ (जंघा ) के पिछले हिस्से ,से होते हुए घुटनों पिंडलियों से होती अगूंठों तक जाती है यह अकेली नस ,तंत्रिका या नाड़ी(माफ़ कीजिए इसे नाड़ी कहने की छूट आपसे ले चुका हूँ ).
बालो चन्दा जैसा चिराग,
जवाब देंहटाएंअब गाओ कोई गीत नया।बहुत सुन्दर प्रयोग .सांगीतिकता लिए भावपूर्ण गीत ..कृपया यहाँ भी पधारें -
शनिवार, 25 अगस्त 2012
आखिरकार सियाटिका से भी राहत मिल जाती है .घबराइये नहीं .
गृधसी नाड़ी और टांगों का दर्द (Sciatica & Leg Pain)एक सम्पूर्ण आलेख अब हिंदी में भी परिवर्धित रूप लिए .....http://veerubhai1947.blogspot.com/2012/08/blog-post_25.html
बहुत सुंदर पंक्तियां
जवाब देंहटाएंमन को छू जाती हैं
नया गीत गाये कोई
सुनने को उकसाती हैं !
वाह ... बहुत ही अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब,,,,प्रेरणात्मक सुंदर पंक्तियां.. |
जवाब देंहटाएंkhoobsoorat geet aap likhiye aur hum gaane ki koshish karenge
जवाब देंहटाएंखरगोश का संगीत राग रागेश्री पर आधारित है
जवाब देंहटाएंजो कि खमाज थाट का सांध्यकालीन राग है, स्वरों में कोमल निशाद और बाकी स्वर शुद्ध
लगते हैं, पंचम इसमें वर्जित है, पर हमने इसमें
अंत में पंचम का प्रयोग भी किया है, जिससे इसमें राग बागेश्री भी झलकता है.
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हमारी फिल्म का संगीत वेद नायेर ने दिया है.
.. वेद जी को अपने संगीत कि प्रेरणा
जंगल में चिड़ियों कि चहचाहट से
मिलती है...
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