शब्दों के मौन निमन्त्रण से, बिन डोर खिचें सब आते हैं। मुद्दत से टूटे रिश्ते भी, सम्बन्धों में बंध जाते हैं।। इनके बिन बात अधूरी है, नजदीकी में भी दूरी है, दुनिया दारी में पड़ करके, बतियाना बहुत जरूरी है, मकड़ी के नाजुक जालों में, बलवान सिंह फंद जाते हैं। मुद्दत से टूटे रिश्ते भी, सम्बन्धों में बंध जाते हैं।। पशु-पक्षी और संगी-साथी, शब्दों से मन को भरमाते, तीखे शब्दों से मीत सभी, पल भर में दुश्मन बन जाते, पहले तोलो, फिर कुछ बोलो, स्वर मधुर छन्द बन जाते हैं। मुद्दत से टूटे रिश्ते भी, सम्बन्धों में बंध जाते हैं।। |
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मंगलवार, 28 अगस्त 2012
"स्वर मधुर छन्द बन जाते हैं" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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क्या कहने
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर, बहुत सुंदर
पहले तोलो, फिर कुछ बोलो,
जवाब देंहटाएंस्वर मधुर छन्द बन जाते हैं।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
हमेशा की भांति खूबसूरत अहसास ..
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना ....
जवाब देंहटाएंहमेशा की भांति खूबसूरत प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंशब्दों के मौन निमन्त्रण से,
जवाब देंहटाएंबिन डोर खिचें सब आते हैं।
मुद्दत से टूटे रिश्ते भी,
सम्बन्धों में बंध जाते हैं।।
सभी इनाम प्राप्त ब्लोगर बंधुओं ,बांध्वियों को मुबारक बाद .पूरा ब्लॉग जगत हर्षित है आज .हम भी गौरवान्वित हुए ,मंशा यही है परस्पर हुश हुश कर एक दूजे पे स्वान उकसाना छोड़ें ,ब्लोगिंग को एक परिवर्तन कामी सशक्त माध्यम के रूप में लें,आपके सामाजिक सरोकार इस हुश हुश से बहुत ऊपर और जन उपयोगीं हैं हुश हुश कर स्वानों को उकसाने वाले संसद को ही शोभा देतें हैं ब्लॉग जगत को नहीं .
पुनश्च :बधाई बधाई बधाई !
पशु-पक्षी और संगी-साथी,
जवाब देंहटाएंशब्दों से मन को भरमाते,
तीखे शब्दों से मीत सभी,
पल भर में दुश्मन बन जाते,
पहले तोलो, फिर कुछ बोलो,
स्वर मधुर छन्द बन जाते हैं।
बहुत सुन्दर बोध प्रदाई गीत .मीठी वाणी बोलिए मन का आपा खोय ,औरन को शीटर करे ,आपहु शीतल होय का मर्म है रचना में सन्देश भी सकारात्मक है .गीत कार की हैसियत से यूं ही शिखर पे टीके रहें -
सितारों से आगे जहां और भी है ,तेरे सामने इम्तिहान और भी हैं (अभी इश्क के इम्तिहान और भी हैं ).
संबंधों को सुधारने के लिये सदा प्रयासरत रहना चाहिये।
जवाब देंहटाएंबहुत मनभावन गीत।
जवाब देंहटाएंशब्दों और बातो की सावधानी के महत्त्व को अपनी प्रस्तुति के जरिये क्या खूब समझाया है,.......शास्त्री जी!!!!!!!!!!!!!!!
जवाब देंहटाएं.......बहुत बढ़िया!..............
शब्दों और बातो की सावधानी के महत्त्व को अपनी प्रस्तुति के जरिये क्या खूब समझाया है,.......शास्त्री जी!!!!!!!!!!!!!!!
जवाब देंहटाएं.......बहुत बढ़िया!..............
पहले तोलो, फिर कुछ बोलो,
जवाब देंहटाएंस्वर मधुर छन्द बन जाते हैं।ekdam sachchi baat sir....
बिन शब्दों के जीवन रसहीन है ..ये शब्द ही हैं जो कविता में चार चाँद लगा रहे हैं ..
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुन्दर प्रभावशाली कविता ..
शब्दों की महिमा ही अपार है...
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