फेसबुक (मुखपोथी) “रूप”-शब्द-का हो रहा, यहाँ सुखद संयोग। मुख-पोथी पर आ गये, सभी तरह के लोग।। -- निर्भय हो विचरण करें, तीतर और बटेर। एक घाट पर पी रहे, पानी, बकरी-शेर।। -- आभासी संसार है, आभासी सम्बन्ध। मिलने-जुलने के लिए, हो जाते अनुबन्ध।। -- विद्वानों की पंक्ति में, आ बैठे अल्पज्ञ। पंचायत में ज्ञान की, गौण हुए मर्मज्ञ।। -- मुखपोथी के सामने, मर्यादा लाचार। मतलब के रिश्ते यहाँ, मतलब का सब प्यार।। -- आगे-पीछे नाम के, “कवि” जिनका उपनाम। ऐसे लोगों से हुआ, काव्य आज बदनाम।। -- बिन भाषा बिन भाव के, कविवर लिखते आज। मुखपोथी में हो गया, अब ये आम रिवाज।। -- छद्म नाम से आ गये, मुखपोथी पर लोग। नर नारी के नाम से, सुख का करते भोग।। -- पोथीबुक पर अधिकतर, बातें हैं अश्लील। भोली चिड़िया को यहाँ, झपट रही है चील।। -- बिना प्रमाणक के यहाँ, व्यक्ति न आने पाय। मुखपोथी को चाहिए, करने ठोस उपाय।। -- |