-- उगते-ढलते सूर्य की, उपासना का पर्व। अपने-अपने नीड़ से, निकल पड़े नर-नार। -- |
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बुधवार, 6 नवंबर 2024
दोहे "उपासना का पर्व" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
मंगलवार, 5 नवंबर 2024
दोहे "छठ का है त्यौहार" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
--उगते ढलते सूर्य का, छठपूजा त्यौहार।माता जी कलि काल में, सबके हरो विकार।। |
सोमवार, 4 नवंबर 2024
गीत "शीत का होने लगा अब आगमन" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
-- खिल उठे फिर से वही सुन्दर सुमन। छँट गये बादल हुआ निर्मल गगन।। उष्ण मौसम का गिरा कुछ आज पारा, हो गयी सामान्य अब नदियों की धारा, नीर से आओ करें हम आचमन। खिल उठे फिर से वही सुन्दर सुमन। छँट गये बादल हुआ निर्मल गगन।। रात लम्बी हो गयी अब हो गये छोटे दिवस, सूर्य की गर्मी घटी, मिटने लगी तन की उमस, बाँटती है सुख, हमें शीतल पवन। अर्चना-पूजा की चहके दीप लेकर थालियाँ, धान के बिरुओं ने पहनी हैं सुहानी बालियाँ, अन्न की खुशबू से, महका है चमन। खिल उठे फिर से वही सुन्दर सुमन। छँट गये बादल हुआ निर्मल गगन।। -- तितलियाँ उड़ने लगीं बदले हुए परिवेश में, भर गयीं फिर से उमंगे आज अपने देश में, शीत का होने लगा अब आगमन। खिल उठे फिर से वही सुन्दर सुमन। छँट गये बादल हुआ निर्मल गगन।। -- |
रविवार, 3 नवंबर 2024
गीत "भइया दूज" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
-- मेरे भइया तुम्हारी हो लम्बी उमर, कर रही हूँ प्रभू से यही कामना। लग जाये किसी की न तुमको नजर, दूज के इस तिलक में यही भावना।। -- चन्द्रमा की कला की तरह तुम बढ़ो, उन्नति के शिखर पर हमेशा चढ़ो, कष्ट और क्लेश से हो नही सामना। दूज के इस तिलक में यही भावना।। -- थालियाँ रोली चन्दन की सजती रहें, सुख की शहनाइयाँ रोज बजती रहें, पूर्ण हों भाइयों की सभी साधना। दूज के इस तिलक में यही भावना।। -- रोशनी से भरे दीप जलते रहें, नेह के सिन्धु नयनों में पलते रहें, आज बहनों की हैं ये ही आराधना। दूज के इस तिलक में यही भावना।। -- |
गुरुवार, 31 अक्तूबर 2024
दोहे "दीवाली पर देवता, रहते सभी समीप" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
-- दीवाली पर शारदे, करना यह उपकार। जीवनभर सुनता रहूँ, वीणा की झंकार।। -- जलें सभी के नीड़ में, माटी के जब दीप। दीवाली पर देवता, रहते तभी समीप।। -- दीप जलाने के लिए, हो बाती में तेल। तब ही तम की नाक में, डालें दीप नकेल।। -- ब्रह्मा जी ने रच दिये, अलग-अलग आकार। किन्तु एक ही रूप के, रचता पात्र कुम्हार।। -- स्वस्थ रहे सब जगत में, दाता दो वरदान। बरखा-गरमी-शीत में, दुखी न हो इंसान।। -- ज्ञान बाँटने से मनुज, होता नहीं विपन्न। विद्या धन का दानकर, बन जाओ सम्पन्न।। -- मात शारदे को कभी, मत बिसराना मित्र। मेधावी मेधा करे, उन्नत करे चरित्र।। -- |
बुधवार, 30 अक्तूबर 2024
दोहे "धनतेरस-नरक चतुर्दशी की शुभकामनाएँ" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
-- देती नरकचतुर्दशी, सबको यह सन्देश। साफ-सफाई को करो, सुधरेगा परिवेश।। -- दीपक यम के नाम का, जला दीजिए आज। पूरी दुनिया से अलग, हो अपने अंदाज।। -- जन्मे थे धनवन्तरी, करने को कल्याण। रहें निरोगी सब मनुज, जब तक तन में प्राण।। -- भेषज लाये धरा से, खोज-खोज भगवान। धन्वन्तरि संसार को, देते जीवनदान।। -- रोग किसी के भी नहीं, आये कभी समीप। सबके जीवन में जलें, हँसी-खुशी के दीप।। -- त्यौहारों की शृंखला, पावन है संयोग। इसीलिए दीपावली, मना रहे सब लोग।। -- कुटिया-महलों में जलें, जगमग-जगमग दीप। सरिताओं के रेत में, मोती उगले सीप।। -- आप सभी को धनतेरस, नर्क चतुर्दशी, दीपावली, गोवर्धनपूजा और भइयादूज की हार्दिक शुभकामनाएँ! ♥डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'♥ -- धनतेरस के पर्व पर, सजे हुए बाज़ार। घर में लाओ आज कुछ, नये-नये उपहार।। झालर-दीपों से सजें, आज सभी के गेह। मन के नभ से आज तो, बरसे मधुरिम नेह।। रहे हमेशा देश में, उत्सव का माहौल। मिष्ठानों का स्वाद ले, बोलो मीठे बोल।। सरस्वती के साथ हों, लक्ष्मी और गणेश। तब आएगी सम्पदा, सुधरेगा परिवेश।। उल्लू बन जाना नहीं, पाकर द्रव्य अपार। धन-दौलत के साथ हो, मेधा का उपहार।। |
मंगलवार, 29 अक्तूबर 2024
गीत "दीपावली से जुड़े पंच पर्वों की शुभकामनाएँ"(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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