-- पूरे दिन आकाश से, बरस
रही है आग। रवि के तेवर देखकर, चकरा
रहा दिमाग।। -- नभ में बादल हैं नहीं, सूरज
हुआ जवान। कैसे आयेगी भला, जीवन
में मुस्कान।। -- सूखे सोत पहाड़ के, सूखे
नदियाँ-ताल। जलचर, नभचर-धराचर, पानी
बिन बेहाल।। -- जग सूना पानी बिना, जल
जीवन आधार। धरती में जल स्रोत का, है
सीमित भण्डार।। -- जितनी ज्यादा आ रही, आबादी
की बाढ़। उतना ही तपने लगा, जेठ
और आषाढ़।। -- घटते ही अब जा रहे, धरती
पर से वृक्ष। सूख गया है इसलिए, वसुन्धरा
का वक्ष।। -- जीव-जन्तु अब चाहते, हो
जाये बरसात। बरसेंगे घनश्याम जब, होगा
शीतल गात।। -- |
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मंगलवार, 21 मई 2024
दोहे "सूखे नदियाँ-ताल" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
सोमवार, 20 मई 2024
गीत "उग रहा शृंगार है" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
-- वाटिका की क्यारियों में, उग रहा शृंगार है। भावनाओं का हृदय में, नित उमड़ता ज्वार है।। -- प्रेरणा की मूर्ति बनकर, उर-बसी जो उर्वशी, भाग्य से मनमीत बन, मिलती यहाँ पर प्रेयसी, नाद अनुपम जो सुनाती, गंग की वो धार है। भावनाओं का हृदय में, नित उमड़ता ज्वार है।। -- प्रीत के उपहार ही, करते प्रकट अनुराग को, भाग्यशाली जिन्दगी में, खेलते हैं फाग को, इंसान की जिन्दादिली ही, जिन्दगी का सार है। भावनाओं का हृदय में, नित उमड़ता ज्वार है।। -- ऊब जाते लोग खाकर, एक से आहार को, रूठने पर कीजिए, परिवार की मनुहार को, हवा मत दो राख को, जिसमें छिपा अंगार है। भावनाओं का हृदय में, नित उमड़ता ज्वार है।। -- जब दिलों का मेल हो, तो गन्ध बिखराते सुमन, तालाब का पानी बने, तब नीर पावन-आचमन, जो मिले बिन मोल के, वो प्यार तो उपहार है। भावनाओं का हृदय में, नित उमड़ता ज्वार है।। -- |
रविवार, 19 मई 2024
ग़ज़ल "वही सुमन होता है" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
-- जो पीड़ा में मुस्काता है, वही सुमन होता है नयी सोच के साथ हमेशा, नया सृजन होता है -- जब आतीं घनघोर घटायें, तिमिर घना छा जाता बादल छँट जाने पर निर्मल, नीलगगन होता है -- भाँति-भाँति के रंग-बिरंगे, जहाँ फूल खिलते हों भँवरों का उस गुलशन में, आने का मन होता है -- किलकारी की गूँज सुनाई दे, जिस गुलशन में चहक-महक से भरा हुआ. वो ही आँगन होता है -- हो करके स्वच्छन्द जहाँ, खग-मृग विचरण करते हों सबसे सुन्दर और सलोना, वो मधुवन होता है -- जगतनियन्ता तो धरती के, कण-कण में बसता है चमत्कार जो दिखलाता है, उसे नमन होता है -- कुदरत का तो पल-पल में ही, 'रूप' बदलता जाता जाति-धर्म की दीवारों से, बड़ा वतन होता है -- |
शनिवार, 18 मई 2024
दोहे "बिगड़ गये आचार" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
-- बात-बात में निकलते, साला-साली शब्द। -- अगर मनुज के हृदय का, मर जाये शैतान।, फिर से जीवित धरा पर, हो जाये इंसान।। -- कमी नहीं कुछ देश में, भरे हुए गोदाम। -- बढ़ते भ्रष्टाचार को, देगा कौन लगाम। -- आज पुरानी नीँव के, खिसक रहे आधार। -- नियमन आवागमन का, किसी और के हाथ। जाना तो तय हो गया, आने के ही साथ।। -- प्यार और नफरत यहाँ, जीवन के हैं खेल। एक बढ़ाता द्वेष को, एक कराता मेल।। -- |
शुक्रवार, 17 मई 2024
दोहे "रोटी हैं अनमोल (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
-- फूली रोटी देखकर, मन होता अनुरक्त। हँसी-खुशी से काट लो, जैसा भी हो वक्त।१। -- फूली-फूली रोटियाँ, सजनी रही बनाय। बाट जोहती है सदा, कब साजन घर आय।२। -- घर के खाने में भरा, घरवाली का प्यार। सजनी खाने के लिए, करती है मनुहार।३। -- फूली-फूली रोटियाँ, मन को करें विभोर। इनको खाने देश में, आते रोटीखोर।४। -- नगर-गाँव में बढ़ रहे, अब तो खूब दलाल। रोटीखोरों ने किया, वतन आज कंगाल।५। -- रोटी का अस्तित्व है, जीवन में अनमोल। दुनिया में सबसे बड़ा, रोटी का भूगोल।६। -- रोटी सबका लक्ष्य है, रोटी है तकदीर। रोटी के बिन जगत में, चलता नहीं शरीर।७। -- जीवन जीने के लिए, रोटी है आधार। अगर न होती रोटियाँ, मिट जाता संसार।८। -- हो रोटी जब पेट में, भाते तब उपदेश। रोजी-रोटी के लिए, जाते लोग विदेश।९। -- तब रोटी अच्छी लगे,
जब लगती है भूख। कुनबे और पड़ोस में, अच्छे रखो रसूख।१०। -- बाहर खाने में नहीं, आता कोई स्वाद। होटल में जाकर सदा, होता धन बरबाद।११। -- दौलत के बाजार में, बिकते रोज रसूख। रोटी की कम भूख है, धन की ज्यादा भूख।१२। -- खाकर माल हराम का, करना मत आखेट। श्रम से अर्जित रोटियाँ, भरती सबका पेट।१३।
-- |
गुरुवार, 16 मई 2024
गीत "वो नर नहीं भगवान है" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
-- जो सींचता भू स्वेद से, वो नर नहीं
भगवान है। जाँबाज वीर जवान ही तो, देश का अभिमान
है।। -- शीत और बरसात के भी, कष्ट को जो झेलता, दुश्मनों के साथ, खूनी फाग को जो
खेलता, सीमाओं पर जो है डटा, प्रहरी वही बलवान
है। जाँबाज वीर जवान ही तो, देश का अभिमान
है।1। -- तन्त्र जिससे है सुरक्षित, प्रजा भी आबाद है, जिसके कारण वतन अपना, आज तक आजाद है, निज मातृ-भू लिए जो, कुर्बान करता जान
है। जाँबाज वीर जवान ही तो, देश का अभिमान
है।2। -- राज का रक्षक वही है, ताज की वो लाज
है, उसके बल पर आज जीवित, राज और समाज है, खिलखिलाती धरा का, उससे खिला उद्यान है जाँबाज वीर जवान ही तो, देश का अभिमान
है।3। -- शौर्य कितना है हमारा, देश सब पहचानते
हैं, आज दुश्मन भी हमारी, शक्तियों को जानते
हैं, शक्तियों को चीन-पाकिस्तान, इनकी जानते
हैं, राष्ट्र के शुभ यज्ञ का, सैनिक महा
यजमान है। जाँबाज वीर जवान ही तो, देश का अभिमान
है।4। -- |
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