-- समय-समय की बात है, समय-समय का फेर। मिट्टी को कंचन करे, नहीं
लगाता देर।। -- समय पड़े पर गधे को, बाप बनाते लोग। समय बनाता सब जगह, कुछ संयोग-वियोग।। समय न करता है दया, जब अपनी
पर आय। ज्ञानी-ध्यानी-बली को, देता धूल
चटाय।। समय अगर अनुकूल है, कायर लगते शेर। मिट्टी को कंचन करे, नहीं
लगाता देर।। -- समय-समय की बात है, समय-समय
के ढंग। जग में होते समय के, बहुत
निराले ढंग।। पल-पल में है बदलता, सरल कभी
है वक्र। रुकता-थकता है नहीं, कभी समय
का चक्र।। राजाओं के महल भी, होते देखे ढेर। मिट्टी को कंचन करे, नहीं
लगाता देर।। -- गया समय आता नहीं, करनी को
कर आज। मत कर सोच-विचार तू, करले
पूरे काज।। हारा है कर्तव्य से, दुनिया में अधिकार। श्रम-निष्ठा से ही सदा, बनता है आधार।। ईश्वर के घर देर है, समझो मत अंधेर। मिट्टी को कंचन करे, नहीं
लगाता देर।। -- |
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शनिवार, 20 अप्रैल 2024
दोहागीत "समय-समय के ढंग" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
शुक्रवार, 19 अप्रैल 2024
गीत "करना मतदान जरूरी है" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री मयंक')
-- भ्रष्ट-दागियों से लोगों को, आज बनाना दूरी
है। लोकतन्त्र की रक्षा को, करना मतदान
जरूरी है।। -- पाँचसाल में अवसर आया, शत-प्रतिशत
मतदान करो, पहले वोट डालकर, फिर घर जा करके जलपान
करो, नूतन संसद की जन-गण को, देनी फिर
मंजूरी है। लोकतन्त्र की रक्षा को, करना मतदान
जरूरी है।। -- गंगा-गैया वसुन्धरा को, हमको आज बचाना
है, राम राज्य का भारत में, फिर आज सुशासन
लाना है, नौजवान-बेकारों को, दिलवानी अब मजदूरी
है। लोकतन्त्र की रक्षा को, करना मतदान
जरूरी है।। -- हिंसा-हत्या भेद-भाव को, दिल से दूर
भगाना है, प्रजातन्त्र की बेल दिलों के, उपवन में
उपजाना है, विघटनकारी महाशक्तियों से, लड़ना मजबूरी
है। लोकतन्त्र की रक्षा को, करना मतदान
जरूरी है।। -- हमको प्यारा देश हमारा, दुनियाभर से
न्यारा है, धरती को भी हमने तो, भारत माँ सदा
पुकारा है, काश्मीर की घाटी में, उगती
केसर-कस्तूरी है। लोकतन्त्र की रक्षा को, करना मतदान
जरूरी है।। -- आज देश में ध्वजा तिरंगी, लहर-लहर
लहराती है, विधि-विधान की एक व्यवस्था, अटल हमारी थाती
है, सीमाओं की रक्षा करने की, तैयारी पूरी
है। लोकतन्त्र की रक्षा को, करना मतदान
जरूरी है।। -- |
गुरुवार, 18 अप्रैल 2024
दोहे "डालो अपना वोट" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री मयंक')
-- पहले डालो वोट को, फिर करना जलपान। करना आज वयस्क को, है अपना मतदान।1। -- आया दिवस चुनाव का, डालो अपना वोट। उनको सबक सिखाइए, बाँट रहे जो नोट।2। -- जनता के प्रति हो सदा, जिसका पक्ष
उदार। जनसेवक वो ही चुनो, जो दे तन्त्र
सुधार।3। -- पाँच साल तक जो रहा, अपने मद में चूर। संसद से कर दीजिए, उसे हनक से दूर।4। -- नर-नारी अब कीजिए, अपने मत दान। लोकतन्त्र में वोट की, ताकत लो पहचान।5। -- द्वार-द्वार पर जा रहे, प्रत्याशी मक्कार। होता सच्चा एक है, मत का दावेदार।6। -- निर्वाचन के पर्व को, करो आज साकार। जनता के मतदान से, बनती है सरकार।7। -- भारत की पहचान हैं, गंगा माता गाय। राम-राज आये यहाँ, ऐसे करो उपाय।8। -- |
दोहागीत "आवारा बादल हुए" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री मयंक')
-- नयी पौध पर है नहीं, आज किसी का जोर। धरती बंजर सी हुई, फसल उगी कमजोर।। -- दोहन पेड़ों का हुआ, नंगे हुए पहाड़, नगमग करते शैल से, बस्ती हुई उजाड़। इस हालत का कौन है, बोलो जिम्मेवार, नेता रिश्वतखोर हैं, मौन हुई सरकार। सीधी-सादी सभ्यता, सोई चादर तान, लोग पलायन कर रहे, मैदानों की ओर। धरती बंजर सी हुई, फसल उगी कमजोर।। -- नदियों में बहता नहीं, अब तो निर्मल नीर, प्राणवायु कैसे मिले, दूषित हुआ समीर। बोलो अब उस देश का, कैसे हो उत्थान, अन्धकार से हो भरी, जहाँ सुहानी भोर। जीवन जीने के लिए, मिले कहाँ से धूप, आवारा बादल चढ़े, नभ पर अब घनघोर। धरती बंजर सी हुई, फसल उगी कमजोर।। -- पल-पल रंग बदल रहा, अब अपना परिवेश, पुस्तक तक सीमित हुए, ऋषियों के सन्देश। बिरुओं को मिलता नहीं, नेह-नीर अनुकूल, उपवन में कैसे खिलें, सुन्दर-सुन्दर फूल। अबलाओं की लाज को, कौन बचाए आज, चीर द्रोपदी का स्वयं, खींचे नन्द-किशोर। धरती बंजर सी हुई, फसल उगी कमजोर।। -- |
बुधवार, 17 अप्रैल 2024
गीत "नव दुर्गा" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
तुमको
सच्चे मन से ध्याता। दया करो हे दुर्गा माता।। व्रत-पूजन
में दीप-धूप हैं, नवदुर्गा
के नवम् रूप हैं, मैं देवी
का हूँ उद् गाता। दया करो हे
दुर्गा माता।। प्रथम दिवस
पर शैलवासिनी, शैलपुत्री
हैं दुख विनाशिनी, सन्तति का
माता से नाता। दया करो हे
दुर्गा माता।। द्वितीय
दिवस पर ब्रह्मचारिणी, देवी तुम
हो मंगलकारिणी, निर्मल रूप
आपका भाता। दया करो हे
दुर्गा माता।। बनी
चन्द्रघंटा तीजे दिन, मन्दिर में
रहती हो पल-छिन, सुख-वैभव
तुमसे है आता। दया करो हे
दुर्गा माता।। कूष्माण्डा
रूप तुम्हारा, भक्तों को
लगता है प्यारा, पूजा से
संकट मिट जाता। दया करो हे
दुर्गा माता।। पंचम दिन में स्कन्दमाता, मोक्षद्वार
खोलो जगमाता, भव-बन्धन
को काटो माता। दया करो हे
दुर्गा माता।। कात्यायनी
बसी जन-जन में, आशा चक्र
जगाओ मन में, भजन आपका
मैं हूँ गाता। दया करो हे
दुर्गा माता।। कालरात्रि की शक्ति असीमित, ध्यान
लगाता तेरा नियमित, तव चरणों
में शीश नवाता। दया करो
हे दुर्गा माता।। महागौरी
का है आराधन, कर देता
सबका निर्मल मन, जयकारे
को रोज लगाता। दया करो
हे दुर्गा माता।। सिद्धिदात्री
हो तुम कल्याणी सबको दो
कल्याणी-वाणी। मैं बालक
हूँ तुम हो माता। दया करो हे दुर्गा माता।।
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