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अब हरियाली छा जायेगी।
जवाब देंहटाएंगैया हरी-घास खायेगी।।
सुन्दर -- सरल -- और खूबसूरत रचना
jab aise geet bante jayenge
जवाब देंहटाएंtab to badal baras hi jayenge
waah .......wakai dil bag bag ho gaya.
सुंदर अभिव्यक्ति .. आपकी आशा पूरी हो !!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबहुत नायाब रचना.
जवाब देंहटाएंरामराम.
लगता है वहां खूब बारिश हो रही है....सुन्दर रचना.
जवाब देंहटाएंbahut sundar kavita hai, lekin ghan abhi tak jordar dhang se nahi varshe hain.
जवाब देंहटाएंखूबसूरत रचना
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंआपकी कविता से शब्दों की बूँदें बरस रही हैं इस लिये हमे तो इसी मे बारिश का आभास हो रहा है बधाई
जवाब देंहटाएंवाह शास्त्री जी........क्या कहने वर्षा ने आपको भी महका दिया ............... लाजवाब रचना
जवाब देंहटाएंatyant sukomal
जवाब देंहटाएंatyant maasoom
atyant saumya
____bilkul shishu ki bhanti
waah !
badhaai !
आपका हर एक ब्लॉग इतना सुंदर है कि मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकती! अब तो मैं आपका फोल्लोवेर बन गई हूँ इसलिए आती रहूंगी!
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूबसूरत और सरल भाषा में लिखी हुई आपकी रचना मुझे बहुत पसंद आया!
अब हरियाली छा जायेगी।
जवाब देंहटाएंगैया हरी-घास खायेगी।।
बहुत सुंदर , एक उम्मीद जगाती, आशा से भरपुर आप की यह कविता.
धन्यवाद
छाये तो हैं, पर मजा तो तब आए, जब बरस जाएं।
जवाब देंहटाएं-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
बहुत सुन्दर..
जवाब देंहटाएंbahut sukhad ehsaas hua padkar aapki kavita...sunder saral rachna.
जवाब देंहटाएंसुन्दर वर्णन है
जवाब देंहटाएं---
विज्ञान । HASH OUT SCIENCE