भार हम जिन्दगी का ही ढोते रहे।
आँसुओं से ही दामन भिगोते रहे।। हाथ पर हाथ रख कर नही बैठे हम, सुख में हँसते रहे, गम में रोते रहे। आँसुओं से ही दामन भिगोते रहे।। कुछ भी आगे नही बढ़ सके राह में, हादसे दिन-ब-दिन रोज होते रहे। आँसुओं से ही दामन भिगोते रहे।। हमने महफिल में उनके तराने पढ़े, मखमली ख्वाब दिल में संजोते रहे। आँसुओं से ही दामन भिगोते रहे।। आँखों-आखों में काटी थी राते बहुत, वो तो खर्राटे भर-भर के सोते रहे। आँसुओं से ही दामन भिगोते रहे।। |
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मंगलवार, 21 जुलाई 2009
‘‘आँसुओं से ही दामन भिगोते रहे’’ (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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आह..! शास्त्री जी,
जवाब देंहटाएंदिलो-दर्द की पूरी शीशी ही उडेल के रख दी आपने तो ! बहुत खूब !!
Dil ko chhu gayi aapki rachna.
जवाब देंहटाएं-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
वाह..बहुत सटीक कहा.
जवाब देंहटाएंरामराम.
शास्त्रीजी,
जवाब देंहटाएंइन मखमली ख्वाबों ने ही तो आपको इतना जिंदादिल बना रखा है. सरस रचना ! बधाइयाँ !!
बहुत खूबसूरत रचना.
जवाब देंहटाएंआँखों-आखों में काटी थी राते बहुत,
जवाब देंहटाएंवो तो खर्राटे भर-भर के सोते रहे।
विसंगतियो को बखूबी संजोया है. बहुत अच्छी रचना
भावनाओं का तूफ़ान ला दिया आपने
जवाब देंहटाएं---
स्वागतम्:
· ब्रह्माण्ड के प्रचीनतम् सुपरनोवा की खोज
· ॐ (ब्रह्मनाद) का महत्व
आँसुओं में ही दामन भिगोते रहे - क्या बात है शास्त्री जी। बहुत अच्छी लगी।
जवाब देंहटाएंआँसुओं से भरी जिन्दगी का सफर, है सिखाती हमें नित नये फलसफे।
यदि जीने की ताकत चुभन से मिले, फिर तो काँटा वही आदतन चाहिए।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
हमने महफिल में उनके तराने पढ़े,
जवाब देंहटाएंमखमली ख्वाब दिल में संजोते रहे।
आँसुओं से ही दामन भिगोते रहे।।
Adarneeya Shastree jee,
bahut khoobsuurat panktiyan likhin hai apane .badhai.lekin ek anurodh hai ki yadi aap apane sabhee blogs men hindi men kamment likhane ki suvidha de den to tippaniyan devanagaree men likhana asan ho jayega.
shubhakamnayen.
Poonam
हमने महफिल में उनके तराने पढ़े,
जवाब देंहटाएंमखमली ख्वाब दिल में संजोते रहे।
आँसुओं से ही दामन भिगोते रहे।।
बेहतरीन .
are waah,shastri ji..
जवाब देंहटाएंbhav ki sampurn vyakhya kar di aapne..
bada bejod rachan..
badhayi..
Bahut hi bhavpoorn rachna..
जवाब देंहटाएंsundar abhivyakti..
badhai...
शास्त्री जी आपकी इस भावपूर्ण कविता ने दिल को छू लिया है!
जवाब देंहटाएंबहुत खुब.
जवाब देंहटाएंaaj to dard ka har rang ek baar mein hi poora utar diya kavita mein...........bahut badhiya.
जवाब देंहटाएं