तुम अगर रोज मिलते-मिलाते रहे, एक दिन स्वप्न साकार हो जायेगा। मद-भरे मय के प्याले पिलाते रहे, प्यार का ज़ाम उपहार हो जायेगा।।
गन्ध से हो गये भाव मदहोश हैं, तुम अगर लाज से मुँह छिपाते रहे, मेरा जीना भी दुश्वार हो जायेगा। एक दिन प्यार उपहार हो जायेगा।।
खिल-खिलाते हुए, मीत बन कर मिलो, हुस्न से इश्क को गर रिझाते रहे, प्रीत में भी, अलंकार हो जायेगा। एक दिन प्यार उपहार हो जायेगा।।
हो खिजाओं में तुम और बहारों में तुम, मेरे आँगन में गर आते-जाते रहे, सुख का सागर ये परिवार हो जायेगा। एक दिन प्यार उपहार हो जायेगा।।
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गुरुवार, 16 जुलाई 2009
‘‘एक दिन स्वप्न साकार हो जायेगा’’ (डॉ रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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मेरा मन है चमन, फूल बन कर खिलो,खिल-खिलाते हुए, मीत बन कर मिलो,हुस्न से इश्क को गर रिझाते रहे,प्रीत में भी, अलंकार हो जायेगा।एक दिन प्यार उपहार हो जायेगा।।
जवाब देंहटाएंbehad sunder bhav,khile khile phool se.sunder manmohini si rachana badhai.
बहुत सुन्दर रचना बधाई आपको !
जवाब देंहटाएंसादर
राकेश
आशा के परों पर उड़ती हुई कविता
जवाब देंहटाएं---
गुलाबी कोंपलें · चाँद, बादल और शाम
pyar ke rang yun hi khilte rahe
जवाब देंहटाएंto mausam yun hi guljar ho jayega
bhavon mein rang yun hi bharte rahe
to ek din pyar uphaar ho jayega
bahut hi bhavmayi,rasbhari ,dil ko lubhati rachna likhi hai.......badhayi.
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर जी.
जवाब देंहटाएंरामराम.
मेरा मन है चमन, फूल बन कर खिलो,
जवाब देंहटाएंखिल-खिलाते हुए, मीत बन कर मिलो,
हुस्न से इश्क को गर रिझाते रहे,
प्रीत में भी, अलंकार हो जायेगा।
एक दिन प्यार उपहार हो जायेगा।।
bahut badhiya geet hai.
badhai