गधों को मिठाई नही घास चाहिए।।
गधों को मिठाई नही घास चाहिए।।
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गधे तो गधे हैं,
जवाब देंहटाएंअपनी बात पर अडे हैं,
खिलाओ-खिलाओ मिठाई कितनी,
वे तो घास खाने को खड़े हैं.
अरे वाह शाश्त्रीजी, ये सम्मेलन की रिपोर्ट कहां से ले आये? चित्र बहुत बढिया लगा पर एक कमी है. आप इनके नाम भी बता देते. दो को तो मैं पहचान गया. इनमे एक ताऊ और दूसरा योगिंद्र मोदगिल है.
जवाब देंहटाएंबाकी के नाम भी पीछे आने वाले बतादें तो शाश्त्री जी का रेकार्ड पूरा होजायेगा?:)
रामराम.
bahut khoob shaastriji !
जवाब देंहटाएंaanand aa gaya.
abhinandan !
चूहे और बिल्ली जैसा खेल हो रहा,
जवाब देंहटाएंसर्प और छछूंदर जैसा मेल हो रहा,
जहरभरी ऐसी ना मिठास चाहिए।
गधों को मिठाई नही घास चाहिए।।
bahut khoob.........kya baat kahi hai........badhayi.
"मँहगाई की मार लोग झेल रहे हैं,
जवाब देंहटाएंनेता घर में बैठे दण्ड पेल रहे हैं,
सिंहासन पर बैठी नही लाश चाहिए।
गधों को मिठाई नही घास चाहिए।।"
धन्य है आप ; कह दी हमारे भी मन की बात !
बहुत सुन्दर शास्त्री जी, आज तो अपने जोर का छक्का मार दिया, बहुत खूब, सत्यता को उजागर करती कविता !
जवाब देंहटाएंआपका नाम लेने में डर नहीं लगता ताउजी इसीलिए आपका बता रहा हु एक आप हो :")
जवाब देंहटाएंचालाक किस्म के गधे तो मिठाई बेच कर घास
जवाब देंहटाएंखरीद लेंगे
wah wah ekdam karaaree kavota hai Sir! ekdam sateek or chust..maja aa gaya padkar...sabke dil ki baat keh di aapne.
जवाब देंहटाएंकहीं है दिवाला और दीवाली कहीं है,
जवाब देंहटाएंकहीं है खुशहाली और बेहाली कहीं है,
जनता को रोजी और लिबास चाहिए।
गधों को मिठाई नही घास चाहिए।।
यह चित्र "ताऊ श्री" के ब्लॉग से साभार चोरी किया है)
sach padh kar maja aa gaya, thanks.
सिंहासन पर बैठी नही लाश चाहिए।
जवाब देंहटाएंगधों को मिठाई नही घास चाहिए।।
शास्त्री जी जब इन गधो का चारा नेता खा जाये तो बेचारे यह फ़िर क्या खाये,
दो को तो मै भी पहचानता हुं, जो ताऊ ने बताये है, तीसरा लगता है कही देखा है,लेकिन समझ नही आ रही कहां देखा था.... सोच कर बताऊगां, वेसे इतने प्यारे प्यारे ओर मिठ्ठे लड्डू खाने को मिले तो कोन नही.......
सीता राम
मज़ा आ गया शास्त्री जी ! बहुत खूब लिखा है आपने!
जवाब देंहटाएंबहुत जोरदार रचना बन पड़ी है। बधाई स्वीकारें।
जवाब देंहटाएं------------------
परा मनोविज्ञान-अलौकिक बातों का विज्ञान।
ओबामा जी, 70 डॉलर में लादेन से निपटिए।
वाह ! आपका और अपना चित्र देखकर सुभाष भदौरिया की याद आगई, वे भी अक्सर बहुत पैना लिखते हैं....
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें भाई जी !