सावन
आया झूम के, पड़ती सुखद फुहार।
तन-मन
को शीतल करे, बहती हुई बयार।१।
--
सावन अपने साथ
में, लाता है त्यौहार।
रक्षाबन्धन-तीज के,
संग बहन का प्यार।२।
--
श्रावण शुक्ला
पंचमी, बहुत खास त्यौहार।
नाग पंचमी आज भी,
श्रद्धा का आधार।३।
--
जंगल
में मंगल हुआ, सुधरा है परिवेश।
सावन
हमको दे रहा, जीवन का सन्देश।४।
--
शैल शिखर से आ रही,
नभ में सघन कतार।
कहीं बरसता रात-दिन, कहीं गरज-बौछार।५।
--
बालक
बैठे ले रहे, वर्षा का आनन्द।
भीनी-भीनी
आ रही, पौधों में से गन्ध।६।
--
मक्का
फूली खेत में, पके डाल पर आम।
जामुन
गदराने लगी, डाली पर अभिराम।७।
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चारों
ओर बिछा हुआ, हरा-हरा कालीन।
पौधों
को जीवन मिला, खुश हैं जल में मीन।८।
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बया
चहकती नीड़ में, चिड़िया मौज मनाय।
पौध
धान की शान से, लहर-लहर लहराय।९।
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काँवड़
लेने चल पड़े, भक्त शम्भु के द्वार।
बम-भोले
के नाम की, होती जय-जयकार।१०।
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मानसरोवर
जा रहे, जत्थों में कुछ लोग।
शिवजी
को कैलाश में, चले लगाने भोग।११।
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शनिवार, 23 जुलाई 2016
दोहे "वर्षा का आनन्द" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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