आज मित्रता-दिवस पर, कर लेना संकल्प। मित्र शब्द का है नहीं, कोई अन्य विकल्प।। -- सौ-सौ बार विचारिए, क्या होता है मित्र। खूब जाँचिए-परखिए, उसका चित्त-चरित्र।। -- हम तो प्रतिदिन माँगते, दुनियाभर की खैर। अमन-चैन से सब रहें, अपने हों या गैर।। -- जिस पग पर काँटे चुभें, वहाँ न रखना पैर। जहाँ एक दिन मित्रता, बाकी दिन हो बैर।। -- मतलब की अब मित्रता, मतलब का सब प्यार। मतलब के ही तो लिए, होती है मनुहार।। -- हँसी-खेल मत समझिए, दुनिया बड़ी विचित्र। जीवन में है मित्रता, पावन और पवित्र।। -- जिसको अपना कह दिया, वो जीवनभर मीत। सच्ची होनी चाहिए, दिल में उपजी प्रीत।। -- उनसे कैसी मित्रता, जो करते हैं घात। ऐसे लोगों से बचो, जो करते उत्पात।। -- करते मुख के सामने, मीठी-मीठी बात। होता नहीं कुतर्क से, कोई भी विख्यात।। -- मनवाना जो चाहता, अपनी बात बलात्। वो दुर्जन करता सदा, सज्जन पर आघात।। -- दुष्ट नहीं माने कभी, धर्म-कर्म उपदेश। उलटे लगते हैं उसे, उपयोगी सन्देश।। -- बिना विचारे जो करे, वाणी का संधान। वो मानव के रूप में, साक्षात् हैवान।। -- |
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रविवार, 6 अगस्त 2023
दोहे "मित्र शब्द का है नहीं, कोई अन्य विकल्प" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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