रोज-रोज आता नहीं, क्रिसमस का त्यौहार। खुश हो करके बाँटिए, लोगों को उपहार।। -- दया-धर्म का जगत में, जीवित रहे निवेश। यीसू सूली पर चढ़ा, देने यह सन्देश।। -- झंझावातों में रहा, जो जीवन परियन्त। माँ मरियम की कोख से, जन्मा था गुणवन्त।। -- सदा अभावों में पला, लेकिन रहा सपूत। सारा जग कहता उसे, परमपिता का दूत।। -- मान और अपमान से, जो भी हुआ विरक्त। दुनिया उसकी ओर ही, हो जाती अनुरक्त।। -- परमपिता के नाम की, महिमा बड़ी अपार। दीन-दुखी का ईश ही, करता बेड़ा पार।। -- जीवन में मंगल करें, सन्तों के उपदेश। सर्व धर्म समभाव का, बना रहे परिवेश।। -- |
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सोमवार, 25 दिसंबर 2023
दोहे "खुश हो करके बाँटिए, लोगों को उपहार" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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