-- तीखी-तीखी और चर्परी। हरी मिर्च थाली में पसरी।। -- तोते इसे प्यार से खाते। मिर्च देखकर खुश हो जाते।। -- सब्ज़ी का यह स्वाद बढ़ाती। किन्तु पेट में जलन मचाती।। -- जो ज्यादा मिर्ची खाते हैं। सुबह-सुबह वो पछताते हैं।। -- दूध-दही बल देने वाले। रोग लगाते, मिर्च-मसाले।। -- शाक-दाल को घर में लाना। थोड़ी मिर्ची डाल पकाना।। -- तीखी-मिर्च कभी मत खाओ। सदा सुखी जीवन अपनाओ।। -- |
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मंगलवार, 19 नवंबर 2024
बालकविता "तीखी-मिर्च कभी मत खाओ" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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