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सच में.....आ गया ऋतुराज, घर-आँगन बसन्ती हो गये!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर कविता...
बहुत ही सुन्दर शब्द लिये हुये बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंइश्क की दीवानगी पर, रंग होली का चढ़ा!
जवाब देंहटाएंघाघरे के साथ फैशन, तंग चोली का बढ़ा!!
प्रेमियों के, पार्क में जमघट नजर आने लगे!
मस्त होकर नीम, जामुन, आम बौराने लगे!!
वाह,वाह , बहुत खूब शास्त्री जी !
mausam baasanti ho gaya
जवाब देंहटाएंaap jaise kaviya pr apna rng chhod gaya
बढ़िया प्रस्तुति। बधाई।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंप्रेमियों के, पार्क में जमघट नजर आने लगे!
जवाब देंहटाएंमस्त होकर नीम, जामुन, आम बौराने लगे!!
ऋतुराज का असर है शास्त्री जी हम और आप क्या कर सकते हैं
वासंती बयार सुरम्य है ।
जवाब देंहटाएंआभार..।
वास्तव में बसन्त आ गया.
जवाब देंहटाएंगीत बहुत मनभावन है!
जवाब देंहटाएं--
मेरे लिए -
"नवसुर में कोयल गाता है - मीठा-मीठा-मीठा!"
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संपादक : सरस पायस
basanti kavita...wonderful :)
जवाब देंहटाएंबहुत बेहतरीन जी.
जवाब देंहटाएंरामराम.
ek he shabd....
जवाब देंहटाएंaafareen aafareen...
अद्भुत मुग्ध करने वाली, विस्मयकारी।
जवाब देंहटाएंमस्त है..बसंत है..फागुनी बयार बहे..वाह!!
जवाब देंहटाएंऋतु के अनुसार कविता को बहुत खूबसूरत शब्दों से सजाया है....शिवरात्रि और होली की छटा बिखेर दी है....बहुत सुन्दर.
जवाब देंहटाएंमस्त कर दिया
जवाब देंहटाएंहोली के पहले होली हो ली........
वाह वाह क्या बात है! बहुत ख़ूबसूरत पंक्तियाँ! इस लाजवाब रचना के लिए बधाई!
जवाब देंहटाएंBahut hi lubhavani rachana ...Aabhar!!
जवाब देंहटाएंhttp://kavyamanjusha.blogspot.com/
ek-ek pankti aakarshak ban padee hai Shastri ji.. aur ye jo naya header chitra dala hai uske to kya kahne...
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी,
जवाब देंहटाएंसदैव की तरह बहुत सुंदर कविता...
गुनगुनी सी धूप में, मौसम गुलाबी हो गया!
प्रकृति के नवरूप का, जीवन शराबी हो गया!!
वाह
waah..........bahut hi madmast geet hai.
जवाब देंहटाएंbasant ke rang men rangi madmast kavita.
जवाब देंहटाएंbadhai.
nice