हम गधे इस देश के है, घास खाना जानते हैं। लात भूतों के सहजता से, नहीं कुछ मानते हैं।। मुफ्त का खाया हमॆशा, कोठियों में बैठकर. भाषणों से खेत में, फसलें उगाना जानते हैं। कृष्ण की मुरली चुराई, गोपियों के वास्ते, रात-दिन हम, रासलीला को रचाना जानते हैं। राम से रहमान को, हमने लड़ाया आजतक, हम मज़हव की आड़ में, रोटी पकाना जानते हैं। देशभक्तों को किया है, बन्द हमने जेल में, गीदड़ों की फौज से, शासन चलाना जानते हैं। सभ्यता की ओढ़ चादर, आ गये बहुरूपिये, छद्मरूपी “रूप” से, दौलत कमाना जानते हैं। |
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जय हो इन गधों की, सटीक.
जवाब देंहटाएंरामराम
राम से रहमान को, हमने लड़ाया आजतक,
जवाब देंहटाएंहम मज़हव की आड़ में, रोटी पकाना जानते हैं।
एक दम सही लिखा हैं ......सटीक लेखन
देशभक्तों को किया है, बन्द हमने जेल में,
जवाब देंहटाएंगीदड़ों की फौज से, शासन चलाना जानते हैं।
अच्छी बात है.
वाह शाश्त्री जी आप की लेखनी ने सार्थकता की ताकत को बखूबी वयां किया है
जवाब देंहटाएंआपकी लेखनी को हमारा कोटि कोटि नमन !
हृदय तक इन शव्दों की पुकार पहुँच गयी है
मुफ्त का खाया हमॆशा, कोठियों में बैठकर.
भाषणों से खेत में, फसलें उगाना जानते हैं।
कृष्ण की मुरली चुराई, गोपियों के वास्ते,
रात-दिन हम, रासलीला को रचाना जानते हैं।
राम से रहमान को, हमने लड़ाया आजतक,
हम मज़हव की आड़ में, रोटी पकाना जानते हैं।
देशभक्तों को किया है, बन्द हमने जेल में,
गीदड़ों की फौज से, शासन चलाना जानते हैं।
सन्नाट कटाक्ष..
जवाब देंहटाएंBAHUT BADHIYAN PADHKAR ANAND AA GAYA,SIR
जवाब देंहटाएंदेशभक्तों को किया है, बन्द हमने जेल में,
जवाब देंहटाएंगीदड़ों की फौज से, शासन चलाना जानते हैं।
सुंदर व्यंग्य व कटाक्ष ....
बहुत खूब बढ़िया कटाक्ष,,,,
जवाब देंहटाएंबढ़िया कटाक्ष...
जवाब देंहटाएंएक दम सही लिखा हैं ......सटीक लेखन
जवाब देंहटाएंराम से रहमान को, हमने लड़ाया आजतक,
जवाब देंहटाएंहम मज़हव की आड़ में, रोटी पकाना जानते हैं।
देशभक्तों को किया है, बन्द हमने जेल में,
गीदड़ों की फौज से, शासन चलाना जानते हैं।
राजनीतिक विद्रूप पर बेहतरीन टिपण्णी .
हम गधे भारत के हैं ,हम घास खाना जानतें हैं ,
जवाब देंहटाएंजो मिलेगा हुक्म हम उसको बजाना जानतें हैं .
उत्कृष्ट प्रस्तुति आज बुधवार के चर्चा मंच पर ।।
जवाब देंहटाएंवाह ... बहुत खूब।
जवाब देंहटाएंमुफ्त का खाया हमॆशा, कोठियों में बैठकर.
जवाब देंहटाएंभाषणों से खेत में, फसलें उगाना जानते हैं।
गज़ब गज़ब गज़ब पूरी रचना शानदार
सुंदर रचना |
जवाब देंहटाएंमेरी नई पोस्ट:-
मेरा काव्य-पिटारा:बुलाया करो
ये हम कौन है.....????..हम सब ??
जवाब देंहटाएंछद्मरूपी “रूप” से, दौलत कमाना जानते हैं।
जवाब देंहटाएं--- ये रूप क्या व कौन है.....
हम तो हैं बिल्कुल ये ही वाले !
जवाब देंहटाएंसुंदर व्यंग्य .....सुंदर रचना |
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