तुम कभी तो प्यार से बोला करो। राज़ दिल के तो कभी खोला करो।। हम तुम्हारे वास्ते घर आये हैं, मत तराजू में हमें तोला करो। ज़र नहीं है पास अपने तो ज़िगर है, चासनी में ज़हर मत घोला करो। डोर नाज़ुक है उड़ो मत फ़लक में, पेण्डुलम की तरह मत डोला करो। राख में सोई हैं कुछ चिंगारियाँ, मत हवा देकर इन्हें शोला करो। आँख से देखो-सराहो दूर से, “रूप” को छूकर नहीं मैला करो। |
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bahut achchi lagi.......
जवाब देंहटाएंडोर नाज़ुक है उड़ो मत फ़लक में,
जवाब देंहटाएंपेण्डुलम की तरह मत डोला करो।
बेहतरीन रचना
आहा....
जवाब देंहटाएंबहुत बेहतरीन
बहुत बेहतरीन..
:-)
आँख से देखो-सराहो दूर से,
जवाब देंहटाएं“रूप” को छूकर नहीं मैला करो।
ख्याल बहुत सुन्दर है और निभाया भी है आपने उस हेतु बधाई
http://madan-saxena.blogspot.in/
http://mmsaxena.blogspot.in/
http://madanmohansaxena.blogspot.in/
उत्कृष्ट प्रस्तुति शुक्रवार के चर्चा मंच पर ।।
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल!
जवाब देंहटाएंवाह! मिन्नत भरी आरजू ...
जवाब देंहटाएंखूबसूरत !
अति सुंदर
जवाब देंहटाएं----------
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आँख से देखो-सराहो दूर से,
जवाब देंहटाएं“रूप” को छूकर नहीं मैला करो।
some people are beautiful like flowers just by being .
Beauty is to see not to touch .उनका होना ही चमन में फूल खिला देता है ,रोते हुए को हंसा देता है ...बढ़िया प्रस्तुति है .
वाह ! सलाह अच्छी है !
जवाब देंहटाएंआँख से देखो-सराहो दूर से,
“रूप” को छूकर नहीं मैला करो।
करने वाले अगर मान लेंगे
छूकर नहीं फिर देख कर
आँख से भी मैला करेंगे !
sahi baat hai lekin aapka naam bhee "Roop"chandra hai, aur aapko choo ke to patthar bhee sona ban jaata hai!
जवाब देंहटाएंआप की इस प्रेमवादी रचना को पढ़ कर यह कुंडली मनसे फूट पडी --
जवाब देंहटाएंआओ पत्थर मार कर , 'वित्त्वाद' दें तोड़ |
इस पिशाच ने की बहुत, शैतानों से होड़ ||
शैतानों से होड़,नियम सब ताख में रखे |
कपट और छल,बल, दल से सब स्वाद हैं चखे ||
'मानवता'का शत्रु, न् इसको गले लगाओ |
इस विकार को चलो मिटाने मिल कर आओ ||
आँख से देखो-सराहो दूर से,
जवाब देंहटाएं“रूप” को छूकर नहीं मैला करो।
बहुत सुन्दर भाव बहुत खूब
बहुत खूब .. मज़ा आ गया लाजवाब गज़ल में ... हर शेर भावमय ..
जवाब देंहटाएंनमस्कार शास्त्री जी ...
waah ....bahut khoob...
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति..
जवाब देंहटाएंAtma Amar hai. Roop to naswar hai.Atma sudhi jaruri hai.
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