अँधियारा छाए तो बिस्तर पर जाकर आराम करो। उजियारा आये तो उठकर अपने सारे काम करो।। -- पता नहीं क्या लिख दिया, बने बेसुरे छन्द। बीमारी मे हो गयी, मस्तक की गति मन्द।। -- काले अक्षर कभी-कभी, तो बहुत सताते है। कभी-कभी सुख का, सन्देशा भी दे जाते हैं।। -- इनका गहरा दर्द मुझे, अपना सा ही लगता है। कभी बेरुखी-कभी प्यार से, मीठी बातें करता है।। -- अक्षर में ही राज भरे हैं, छिपे बहुत से रूप। घाव हृदय में कर जाता, जब अक्षर हो विद्रूप।। -- जीवन के दोराहे पर, पूरा घर-बार पड़ा है। किसी-किसी का तो, अभिनव संसार खड़ा है।। -- पग-पग पर मिलते हैं, ऐसे दोराहे और चौराहें। केवल समय दिखा सकता है, सीधी-सच्ची राहें।। -- चूहा-बिल्ली, पिल्ला-पिल्ली से लगते हैं काले अक्षर। इसी लिए तो कहते हैं जी काला अक्षर भैंस बराबर।। |
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मंगलवार, 11 सितंबर 2012
"बने बेसुरे छन्द" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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अक्षर लड़ते हैं कभी, हो शब्दों में युद्ध |
जवाब देंहटाएंकवि भी कैसे खेलता, हो भावों से क्रुद्ध |
हो भावों से क्रुद्ध, शुद्ध काया का चक्कर |
रहे एक की जगह, शब्द दो मारें टक्कर |
काया जो अस्वस्थ, पंक्ति टेढ़ी हो जाती |
बुद्धि का क्या दोष, यही काया भरमाती ||
उत्कृष्ट प्रस्तुति बुधवार के चर्चा मंच पर ।।
जवाब देंहटाएंवर्तमान व्य्वस्था पर सटीक्
जवाब देंहटाएंबहुत ही प्रभावी रचना।
जवाब देंहटाएं--
जवाब देंहटाएंकाले अक्षर कभी-कभी, तो बहुत सताते है।(हैं )
कभी-कभी सुख का, सन्देशा भी दे जाते हैं।।
बहुत सुन्दर रचना शास्त्री जी की ,जल्दी स्वास्थ्यलाभ प्राप्त करें ,पानी ज्यादा पिएँ ,तरल का सेवन ज्यादा करें .स्वस्थ और आनंद बदन रहें .
ram ram bhai
मंगलवार, 11 सितम्बर 2012
देश की तो अवधारणा ही खत्म कर दी है इस सरकार ने
खूबसूरत प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति !!
जवाब देंहटाएंपग-पग पर मिलते हैं, ऐसे दोराहे और चौराहें।
जवाब देंहटाएंकेवल समय दिखा सकता है, सीधी-सच्ची राहें।।
sarthak rachna ..
वाह !
जवाब देंहटाएंवाह: बहुत सुन्दर..सार्थक रचना
जवाब देंहटाएंप्रभावी सुंदर रचना,,,,
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी,,,सेहत का ध्यान रखे,,,
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वाह शास्त्री जी...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया...
आशा है आपका स्वास्थ अच्छा होगा ...
सादर
अनु
अतिसुंदर रचना..|
जवाब देंहटाएंकाले अक्षर कभी-कभी, तो बहुत सताते है।
जवाब देंहटाएंकभी-कभी सुख का, सन्देशा भी दे जाते हैं ..
बहुत सच कहता है ये दोहा .. सभी भाव्पय ... बहुत प्रभावी ...
नमस्कार शास्त्री जी ...
वाह ... बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंवाह...अस्वस्थता में भी कलम छूटती नहीं..शास्त्री जी, शीघ्र स्वास्थ्य लाभ करें..
जवाब देंहटाएंवाह बहुत सुंदर ।
जवाब देंहटाएं