फूली रोटी देखकर, मन
होता अनुरक्त।
हँसी-खुशी से काट लो, जैसा
भी हो वक्त।१।
फूली-फूली रोटियाँ, सजनी रही
बनाय।
बाट जोहती है सदा, कब साजन घर
आय।२।
घर के खाने में भरा, घरवाली का
प्यार।
सजनी खाने के लिए, करती है
मनुहार।३।
फूली-फूली रोटियाँ, मन को
करें विभोर।
इनको खाने देश में, आते
रोटीखोर।४।
नगर-गाँव में बढ़ रहे, अब तो
खूब दलाल।
रोटीखोरों ने किया, वतन आज
कंगाल।५।
रोटी का अस्तित्व है, जीवन
में अनमोल।
दुनिया में सबसे अहम, रोटी
का भूगोल।६।
रोटी सबका लक्ष्य है, रोटी है
तकदीर।
रोटी के बिन जगत में, चलता नहीं
शरीर।७।
जीवन जीने के लिए, रोटी
है आधार।
अगर न होती रोटियाँ, मिट
जाता संसार।८।
हो रोटी जब पेट में, भाते
तब उपदेश।
रोजी-रोटी के लिए, जाते
लोग विदेश।९।
कुनबे और पड़ोस में, अच्छे
रखो रसूख।
तब रोटी अच्छी लगे, जब
लगती है भूख।१०।
बाहर खाने में नहीं, आता कोई
स्वाद।
होटल में जाकर सदा, होता धन
बरबाद।११।
दौलत के बाजार में, बिकते रोज
रसूख।
रोटी की कम भूख है, धन की
ज्यादा भूख।१२।
खाकर माल हराम का, करना मत
आखेट।
श्रम से अर्जित रोटियाँ, भरती सबका
पेट।१३।
|
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बुधवार, 12 दिसंबर 2018
तेरह दोहे "फूली-फूली रोटियाँ" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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बहुत ही सुन्दर दोहे आदरणीय 👌
जवाब देंहटाएंसादर
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 13.12,18 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3184 में दिया जाएगा
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
जवाब देंहटाएंसच कहा है किसी ने -
भूखे भजन न होय गोपाला ,
ये ले अपनों कंठी माला।
रोटी पे बढ़िया कलम चलाई है शास्त्री जी ने :
veeruji05.blogspot.com
फूली-फूली रोटियों जैसी ही सरस रचनाएं
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर दोहा .. आदरणीय..
जवाब देंहटाएंआपने रोटी को अपनी ही सुन्दर पंक्तियों में जिस
तरह सरस भाव में सेंका है वह पढ़कर बहुत ही उम्दा खूबसूरत लगा ...