-- बलिदानों के बदले में, पाई हमने आजादी है, मँहगाई के हेर-फेर में, लुप्त हो गई खादी है, मोह छोड़कर परदेशों का, उन्नत अपना देश बनायें। देशभक्ति के गीत प्रेम से, आओ मिल-जुलकर गायें।। -- जीवन में छब्बीस जनवरी, खुशियाँ लेकर आता है, बासन्ती परिधान पहन कर, टेसू फूल खिलाता है, सरसों के बिरुए खेतों में, झूम-झूमकर लहरायें। देशभक्ति के गीत प्रेम से, आओ मिल-जुलकर गायें।। -- नयी-नयी कोपल पायेंगी, अपने आँगन के अम्बुआ की, मुस्कानों से सुमन सलोने, धरा-गगन को महकायें। देशभक्ति के गीत प्रेम से, आओ मिल-जुलकर गायें।। -- भारत में अब रामराज का, समय सुहाना आया है, अवधपुरी में रामलला का, मन्दिर सबको भाया है, समरसता के पावन पथ को, सारी दुनिया को दिखलायें। देशभक्ति के गीत प्रेम से, आओ मिल-जुलकर गायें।। -- |
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शुक्रवार, 26 जनवरी 2024
गीत "उन्नत अपना देश बनायें" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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