श्री गणेश चतुर्थी -- आदिदेव के नाम से, करना सब शुभ-कार्य। गणपति की पूजा करो, कहते धर्माचार्य।। -- भर देता नवऊर्जा, चतुर्दशी का पर्व। गणपति के त्यौहार पर, भक्तों को है गर्व।। हुआ चतुर्थी से शुरू, गणपति जी का पर्व। हर्षित होते दस दिवस, सुर-नर, मुनि गन्धर्व।। वन्दन-पूजन से किया, सबने विदा गणेश। विघ्नविनाशक आप ही, सबके हो प्राणेश।। बाधाओं का शमन हो, मिट जायेंगे रोग। मोदक से विध्नेश को, आप लगायें भोग।। रमा और माँ शारदे, रहें आपके साथ। रखना मेरे शीश पर, गणनायक जी हाथ।। मूषक ढोता आपका, भारी-भरकम भार। गणपति मेरे सदन में, आओ बारम्बार।। |
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शनिवार, 7 सितंबर 2024
दोहे "श्री गणेश चतुर्थी" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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