-- जो मानवता के लिए, चढ़ता गया सलीब। वो ही होता कौम का, सबसे बड़ा हबीब।। -- जिसमें होती वीरता, वही भेदता व्यूह। चलता उसके साथ ही, जग में विज्ञ समूह।। -- मंजिल हो जिस राह में, उस पर चलते लोग। पालन करता नियम जो, वो ही रहे निरोग।। -- जो जन सेवा के लिए, करता है पुरुषार्थ। उसके सारे काम ही, कहलाते परमार्थ।। -- थोथी बातों से नहीं, कोई बने मसीह। लालच में जपता सदा, ढोंगी ही तस्बीह।। -- जिसके दिल में हों भरे, ममता-समता-प्यार। वो जनता के हृदय पर, कर लेता अघिकार।। -- दीन-दुखी-असहाय को, बाँटो कुछ उपहार। शिक्षा देता है यही, क्रिसमस का त्यौहार।। -- |
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बुधवार, 25 दिसंबर 2024
दोहे "क्रिसमस का त्यौहार" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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क्रिसमस पर सुंदर रचना
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