बादल तो बादल होते हैं ।
नभ में कृष्ण दिखाई देते,
निर्मल जल का सिन्धु समेटे,
लेकिन धुआँ-धुआँ होते हैं ।
बादल तो बादल होते हैं ।
बल के साथ गरजते रहते,
दल के साथ लरजते रहते,
जग में यहाँ-वहाँ होते हैं ।
बादल तो बादल होते हैं ।
चन्द्र,सूर्य का तेज घटाते,
इनसे तारागण ढक जाते,
बादल जहाँ-जहाँ होते हैं ।
बादल तो बादल होते हैं ।
अंतरजाल पर पहली बाल कविता के प्रकाशन पर मेरी हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ.
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