अडिग रहे हैं, अडिग रहेंगे सदा बढ़े हैं, सदा बढ़ेंगे! हम तो दरिया का पानी है रुककर हम तो नहीं सड़ेंगे!! कितनों ने सन्देशे भेजे कितनों से भिजवाये गये कितनों ने आकर धमकाया कितनों ने जमकर फुसलाया हम भारत के हैं बाशिन्दे पर्वत बन कर डटे रहेंगे! हम तो दरिया का पानी है रुककर हम तो नहीं सड़ेंगे!! हममें गहराई सागर की चाह नही हमको गागर की काँटों पर हम चलने वाले हम अपनी धुन के मतवाले हम जमकर के लोहा लेंगे दुश्मन से हम नही डरेंगे! हम तो दरिया का पानी है रुककर हम तो नहीं सड़ेंगे!! |
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रविवार, 11 अप्रैल 2010
“दुश्मन से हम नही डरेंगे!” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)
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हममें गहराई सागर की
जवाब देंहटाएंचाह नही हमको गागर की
काँटों पर हम चलने वाले
हम अपनी धुन के मतवाले
हम जमकर के लोहा लेंगे
दुश्मन से हम नही डरेंगे!
हम तो दरिया का पानी है
रुककर हम तो नहीं सड़ेंगे!!
bahut hi shnadar dil jeet liya
----- eksacchai { AAWAZ }
http://eksacchai.blogspot.com
हममें गहराई सागर की
जवाब देंहटाएंचाह नही हमको गागर की
काँटों पर हम चलने वाले
हम अपनी धुन के मतवाले
nice
बहुत बढ़िया गीत.
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूबसूरत गीत लिखा है आपने! लाजवाब!
जवाब देंहटाएंसुन्दर गीत शास्त्री जी!!
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