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शनिवार, 13 नवंबर 2010
"हमारा वतन" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")

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जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत गीत्……………लयबद्ध पढकर मज़ा आ गया।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना .... आभार
जवाब देंहटाएंजय हिंद जय भारत |
जवाब देंहटाएंसारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा ... :).... बहुत सुंदर रचना शास्त्री जी ...
जवाब देंहटाएंसुंदर गीत।
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी, बहुत ही सुन्दर। बडी खुशी हो रही है कि हमारा देश कभी इतना बडा था। लेकिन आज के समय में जबकि पाकिस्तान अलग हो गया, बांग्लादेश अलग हो गया और म्यांमार अलग हो गया; इन चारों देशों को अपना दिखाना साम्राज्यवादी मानसिकता दिखाता है। कृपया फोटू बदल दीजिये। आज हमारा देश चाहे छोटा ही सही, लेकिन अपना है। भारत का आधुनिक नक्शा लगाइये। बाकी आपकी मर्जी।
जवाब देंहटाएंप्यारा, हमारा वतन।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर गीत ...
जवाब देंहटाएंजय हिंद....
बहुत ही सुन्दर रचना ...आभार
जवाब देंहटाएंआपने चाचा नेहरू को याद किया अच्छा लगा
जवाब देंहटाएंhamara vatan ..padhkar bahut achcha laga.sunder rachna ke liye aabhar.
जवाब देंहटाएंbhaarat mata ki jai!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और सार्थक गीत...बधाई.
जवाब देंहटाएं_________________
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