आज खटीमा (उत्तराखण्ड) में वर्षा ऋतु के स्वागत में
सावन के प्रथम दिन राष्ट्रीय वैदिक विद्यालय में
एक कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया!
गोष्ठी का शुभारम्भ और अतिथियों का स्वागत किया गया!
गोष्ठी की अध्यक्षता – रामनगर नैनीताल के पधारे
शायर सगीर अशरफ ने की,
मुख्यअतिथि- कवि एवं साहित्यकार अशोक् कुमार भट्ट
(अ.पुलिस अधीक्षक-ऊधमसिंहनगर) तथा
विशिष्ट अतिथि- मा. पुष्कर सिंह धामी
(राज्यमन्त्री-उत्तराखण्ड सरकार) थे।
जिसका संचालन कवि देवदत्त “प्रसून" किया!
इसके पश्चात अतिथियों के द्वारा
माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण
एवं दीप प्रज्वलन किया गया।
गोष्ठी का शुभारम्भ – देवदत्त प्रसून की सरस्वती वन्दना से हुआ।
खटीमा राजकीय महाविद्यालय के हिन्दी विभागाध्यक्ष
“आइए इक ख़त लिखें हम जिन्दगी के नाम।
उम्र की ना-आशना आवारगी के नाम।।"
तत्पश्चात राजकीय इंटर कॉलेज में हिन्दी के प्राध्यापक
डॉ. गंगाधर राय ने राजनीतिक परिपेक्ष्य में चुटकी लेते हुए कहा-
“सत्ता की कुर्सी पर बैठकर तुमने
लिया है मामा कंस का अवतार।
इसलिए प्रजातन्त्र को
कर दिया है तुमने तार-तार।।“
राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कृत सरस पायस के सम्पादक ने अपने काव्य पाठ में नवगीत का स्स्वर पाठ किया।
हास्य व्यंग्य के कवि गेंदालाल शर्मा निर्जन ने कहा-
“सारे देश में घूम के देखो बेईमानों का ढेर है,
कर्णधार जो देश के वो चिकनी मिट्टी के शेर हैं।“
प्रवीण सिंह प्रजापति ने ने भी हास्य का शमा बाँधते हुए कहा-
मैं दीवानी ढूँढता हूँ, मैं दीवाना हूँ,
मैं दीवानी ढूँढती हूँ, मैं दीवानी हूँ,...
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पीलीभीत से पधारे गजलकार राम किशोर शर्मा ने कहा-
“आ स्वयं दिवाकर सन्धि करे,
कल का फिर प्रातनहीं होगा.....
पीलीभीत से ही पधारे ओज के कवि पुष्पेन्द्र शर्मा “दीप” ने कहा-
“हर दफा ये कमाल होता है,
सबके दिल को मलाल होता है....”
पीलीभीत के सिद्धकवि जीतेश राज ने
अपनी ग़ज़ल पेश करते हुए कहा-
“जरा मुट्ठी में सारा जहान भरते हैं!
ये मन के पंछी भी कैसी उड़ान भरते है....”
खटीमा के प्रख्यात चिकित्सक डॉ. चन्द्र शेखर जोशी ने कहा-
मेरे बगल के खेत में एक मकान उग आया है,
पड़ोसी का कबूतर फिर, नमकीन-बिस्कुट चुग आया है....”
किच्छा से पधारे शायर नबी अहमद मंसूरी ने कहा-
“नियामत है ये खुदा की
कहीं बारिश कही कहर है....”
रूमानियत के शायर
गुरू सहाय भटनागर “बदनाम” ने कहा
“देश पर फिदा जानो तन कर गये,
जान देकर भी रौशन यहाँ कर गये”
सितारगंज से पधारे शायर यूनुस मलिक ने कहा-
“तिफ्ल जो मुफलिसी में पलते हैं,
वो खिलौनों को कब मसलते हैं....”
लालकुँआ नैनीताल से पधारीं
शैलसूत्र पत्रिका की सम्पादिका श्रीमती आशा शैली ने कहा-
“बस परिन्दों की तरह नजर आते हैं लोग
जिन्दगी की राह मैं ऐसे भी मिल जाते हैं लोग...”
युवा कवि कमलेश भट्ट ने कहा-
“कल हम न होंगें तो क्या हमें याद करोंगे,
अगर याद करोगे ते हमें पास कहाँ पाओगे?....”
संचालक देवदत्त प्रसून ने कहा-
“बात हामारी तुमको अच्छी नहीं लगी
सच्ची थी लेकिन वो तुमको अच्छी नहीं लगी....”
गोष्ठी के आयोजक डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक ने कहा-
“बड़ी हसरत दिलों में थी गगन में छा गये बादल!
हमारे गाँव में भी आज चलकर आ गये बादल!!”
मुख्य अतिथि कवि एवं साहित्यकार अशोक् कुमार भट्ट ने कहा-
“सफलताओं ने दिये मुझे सिर्फ ठहराव।
रही घाट में बँधी वह कैसी नाव…”
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि मा. पुष्कर सिंह धामी
(राज्यमन्त्री-उत्तराखण्ड सरकार) ने अपने उद्बोधन में कहा
कि यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे आज
खटीमा और सुदूर स्थानों से पधारे कवियों की
रचनाओं का रसास्वादन करने का अवसर मिला।
इस अवसर पर उन्होंने अपने छात्र जीवन में लिखी
रचना का पाठ करते हुए कहा-
“स्वतन्त्रता के प्रेमी की अम्बर के आगे सीमा है,
उसकी क्षमता के आगे तूफान बहुत ही धीमा है!”
गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे शायर सगीर अशरफ ने कहा-
“तेरे दर से अपना घर तलाश करता हूँ!
मैं आज कोई सिकन्दर तलाश करता हूँ!”
अन्त में-
मुख्यअतिथि कवि एवं साहित्यकार अशोक् कुमार भट्ट
(अ.पुलिस अधीक्षक-ऊधमसिंहनगर) को
साहित्य शारदा मंच के अध्यक्ष डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक ने
संस्था के सर्वोच्च सम्मान “साहित्य श्री” से अलंकृत किया,
जिसे विशिष्ट अतिथि मा. पुष्कर सिंह धामी
(राज्यमन्त्री-उत्तराखण्ड सरकार) के
कर कमलों से प्रदान किया गया!
आभार दर्शन करते हुए आयोजक डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक ने
सभी को हरेला और शब्बेबारात की शुभकामनाएँ भी प्रेषित कीं!
vah
जवाब देंहटाएंsahetya sarada maich,ke sabe sadesy ko mara namn,
bahut hi sunda se darsaye hai aap
लिकं हैhttp://sarapyar.blogspot.com/
आपको मेरी हार्दिक शुभकामनायें.
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sundar sankalan hai guru jee!
जवाब देंहटाएंsundar aayojan
जवाब देंहटाएंbadhaai !
बहुत ही बढि़या ...
जवाब देंहटाएंआज आप यहां पर भी ...
http://www.parikalpna.com/?p=5279
बहुत सुन्दर आयोजन रहा! चित्रों के साथ शानदार प्रस्तुती!
जवाब देंहटाएंमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
काव्यमयी माहौल बनाने की ढेरों शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर आयोजन रहा! चित्रों के साथ शानदार प्रस्तुती!
जवाब देंहटाएंaapki goshthi ki charcha padhi bahut achchi lagi.video to kal hi dekh li thi.badhaai ho aapka yeh kaaryakram itna safal raha.kaash hum bhi hote vanhaa.
जवाब देंहटाएंबहुत लाजवाब चित्रों सहित आयोजन की रिपोर्ट देने के लिये बहुत आभार, हार्दिक शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
चित्रों से लग रहा हैं की कवि सम्मेलन जमा होगा लेकिन मुशायरा किसने लुटा यह तो बताएं
जवाब देंहटाएंबधाई शास्त्री जी!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लगा एक सफल आयोजन की रिपोर्ट पढ़कर...
जवाब देंहटाएंजीवंत रिपोर्ट से ऐसा लगा जैसे हम भी प्रत्यक्ष दर्शी हैं और दर्शकदीर्घा में बैठे हैं. एक विशाल व सफल आयोजन हेतु प्रत्यक्ष / अप्रत्यक्ष आयोजन टीम को बधाई.
जवाब देंहटाएंवाह शास्त्री जी! आपने तो समा बाँधा दिया. इतना सुंदर आयोजन और सचित्र रिपोर्टिंग के लिए धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंएक बार पुनः जीवन हो उठीं यादें खटीमा की ...... इन पलों को हम सबके साथ साँझा करने के लिए आपका आभार ...!
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत बधाई !
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएँ!
तेरे दर से अपना घर तलाश करता हूँ!
जवाब देंहटाएंमैं आज कोई सिकन्दर तलाश करता हूँ!”
बहुत खूब.. कवि-गोष्टी रही ...चित्रों सहित ...आपको बहुत -बहुत बधाई हो ...काश हम भी होते ???? इस अवसर का लुत्फ़ उठाने को ..
विविधता के दर्शन करने के लिए धन्यवाद...
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