ग्राह्य है सुगन्ध त्याज्य है दुर्गन्ध इसीलिए न्यायपालिका ने लिया है संज्ञान फेसबुक और गूगल को हटाना होगा अश्लील सामान सावधान! सावधान!! बन्द करना होगा ऐसे लोगों का पिटारा जो प्रदूषित कर रहे हैं गंगा की धारा सभी तरह का माल परोसता है अन्तरजाल साहित्य में तो लालित्य है लेकिन अश्लीलता में कौन सा साहित्य है अभी भी समय है सुधर जाओ अपने कुतर्कों से बाज आओ अन्यथा भारत से करना पड़ेगा पलायन! पलायन-पलायन-पलायन!! |
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मंगलवार, 17 जनवरी 2012
"फेसबुक और गूगल" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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वाह ...गूगल और फेसबुक की भाषा का सटीक चित्रण ..बहुत खूब
जवाब देंहटाएंमर्यादा तो रखनी ही होगी..
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक सन्देश...आभार
जवाब देंहटाएंये न्यायपालिका कम और नगरपालिका ज्यादा लगती है मुझे तो !
जवाब देंहटाएंसटीक चित्रण ..बहुत खूब..आभार
जवाब देंहटाएंसही कहा आपने शास्त्री जी आपने अपनी रचना के माध्यम से | हम सबको अपनी मर्यादाएं समझनी चाहिए | लेकिन ये केंद्र सरकार भी ज्यादातियों पर उतर आया है | केंद्र के पहल का ही नतीजा है ये सब |
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग में भी आयें |
बिलकुल सही बात है !
जवाब देंहटाएंमर्यादा के अन्दर ही सबकुछ
सही लगता है !
"अभी भी समय है
जवाब देंहटाएंसुधर जाओ
अपने कुतर्कों से
बाज आओ"
वाह सटीक अभिव्यक्ति
आर एस एस के लोग कोई मर्यादा नहीं रखते उनके लिए न्यायपालिका का भी कोई महत्व नहीं है।
जवाब देंहटाएंएकदम सटीक।
जवाब देंहटाएंअंतरजाल पर होनेवाली अवांछित गतिविधियों पर रोक लगाने का अच्छा आह्वान!
जवाब देंहटाएंठीक कहा आपने ..कोई बुरे नहीं अगर व्यंग्य भी शालीनता की चादर ओढ़े हो..
जवाब देंहटाएंबाकी आजकल सबकुछ चलता है ,बिकता भी है जी ..
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है..
kalamdaan.blogspot.com
आपकी कविता हमेशा की तरह धारदार.
जवाब देंहटाएंलेकिन यहाँ अग्राह्य सामग्री हटाने की आड़ में अभिव्यक्ति ही बाधित की जा सकती है.
भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने आपकी पोस्ट " "फेसबुक और गूगल" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक") " पर एक टिप्पणी छोड़ी है:
जवाब देंहटाएंआपकी कविता हमेशा की तरह धारदार.
लेकिन यहाँ अग्राह्य सामग्री हटाने की आड़ में अभिव्यक्ति ही बाधित की जा सकती है.
हर चीज कि मर्यादा होनी चाहिये और मर्यादा के तहत किया गया काम
जवाब देंहटाएंउचित होता है
सटीक रचना.
ग्राह्य है सुगन्ध
जवाब देंहटाएंत्याज्य है दुर्गन्ध
बिल्कुल सही , सार यही.....
मर्यादा हर जगह जरूरी है...
जवाब देंहटाएंसार्थक रचना।
सही है , मर्यादा तो रखनी ही पड़ेगी | कोन अपनी संस्क्रती को धूमिल होने देगा |
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना
"अभी भी समय है
जवाब देंहटाएंसुधर जाओ
अपने कुतर्कों से
बाज आओ"
..sahi chetawani...
sundar sarthak prastuti..
sanskriti naam ki bhee cheez hai kuchh!!
जवाब देंहटाएं