दिल हमारा अब दिवाना हो गया है। फिर शुरू मिलना-मिलाना हो गया है।। हाथ लेकर चल पड़े हम साथ में, प्रीत का मौसम, सुहाना हो गया है। इक नशा सा, जिन्दगी में छा गया, दर्द-औ-गम, अपना पुराना हो गया है। सब अधूरे् स्वप्न पूरे हो गये, मीत सब अपना, जमाना हो गया है। दिल के गुलशन में बहारें छा गयीं, अब चमन, अपना ठिकाना हो गया है। तार मन-वीणा के, झंकृत हो गये, सुर में सम्भव गीत गाना हो गया है। मन-सुमन का “रूप” अब खिलने लगा, बन्द अब, आँसू बहाना हो गया है। |
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आपका गीत प्यारा सा, हमें गुनगुनाना हो गया है
जवाब देंहटाएं//इक नशा सा, जिन्दगी में छा गया,
जवाब देंहटाएंदर्द-औ-गम, अपना पुराना हो गया है।
behtareen ghazal sir.. behtareen.. :)
हाथ लेकर चल पड़े हम साथ में,
जवाब देंहटाएंप्रीत का मौसम, सुहाना हो गया है।
इक नशा सा, जिन्दगी में छा गया,
दर्द-औ-गम, अपना पुराना हो गया है।
वाह-वाह... रूमानी हो गए और कर भी दिया !
बढिया रचना है बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर गजल शास्त्री जी । पढ़कर चित्त प्रसन्न हो गया ।
जवाब देंहटाएंआ गये जो आपके इस ब्लॉग में, हृदय का "दीपक" जलाना हो गया ।
आभार ।
सुन्दर फूलो को देख..मन हमारा भी प्रसन्न होगया..
जवाब देंहटाएंबसंत के आगमन पर सुंदर गजल
जवाब देंहटाएंbahut khushiyon se bhari khoobsurat ghazal.
जवाब देंहटाएंदिल हमारा अब दिवाना हो गया है।
जवाब देंहटाएंफिर शुरू मिलना-मिलाना हो गया है।।
हाथ लेकर चल पड़े हम साथ में,
प्रीत का मौसम, सुहाना हो गया है।
वसन्त का रंग चढना शुरु हो गया है………बहुत खूबसूरत प्रस्तुति।
बहुत खूब! वसन्त का प्रभाव झलकने लगा है..बहुत सुन्दर प्रस्तुति...आभार
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छा लगा कविता का ये मूड...
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लगा कविता का ये मूड.
जवाब देंहटाएंसुंदर चित्र से सजा यह पोस्ट सुहाना हो गया है|
जवाब देंहटाएंBhaavatmak gazal hai ... Anek rang liye ...
जवाब देंहटाएंBahut Pyara Geet
जवाब देंहटाएंबढिया रचना।
जवाब देंहटाएंबसंत पंचमी और माँ सरस्वती पूजा की हार्दिक शुभकामनाएँ । मेरे ब्लॉग "मेरी कविता" पर माँ शारदे को समर्पित 100वीं पोस्ट जरुर देखें ।
जवाब देंहटाएं"हे ज्ञान की देवी शारदे"
सुंदर रचना ...कृपया नयी-पुरानी हलचल पर पधारें ...आज आपकी कविता का लिंक वहां पर है ...
जवाब देंहटाएंवाह ...बहुत ही बढि़या भाव संयोजन ।
जवाब देंहटाएंखुशिया झलकती है आपकी इस रचना से..
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति...
वाह - बहुत उम्दा ग़ज़ल है सर :)
जवाब देंहटाएंआपका गीत बहुत अच्छा लगा
जवाब देंहटाएंबसंत ऋतू आई ..बहार आई .. खूबसूरत गज़ल ..
जवाब देंहटाएंबसंत पंचमी की शुभकामनायें
मन-सुमन का “रूप” अब खिलने लगा,
जवाब देंहटाएंबन्द अब, आँसू बहाना हो गया है।
मुबारक यह मदनोत्सव बसंत.
सुन्दर कविता है शास्त्री जी.
जवाब देंहटाएंहाथ लेकर चल पड़े हम साथ में,--
जवाब देंहटाएंएसा लगता है कि कोई कटा हुआ हाथ लेकर हम साथ चलपडे..
- चल पडे हम हाथ लेकर हाथ में.. ..सही रहेगा