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आज देश में उथल-पुथल क्यों,
क्यों हैं भारतवासी आरत?
कहाँ खो गया रामराज्य,
और गाँधी के सपनों का भारत?
आओ मिलकर आज विचारें,
कैसी यह मजबूरी है?
शान्ति वाटिका के सुमनों के,
उर में कैसी दूरी है?
क्यों भारत में बन्धु-बन्धु के,
लहू का आज बना प्यासा?
कहाँ खो गयी कर्णधार की,
मधु रस में भीगी भाषा?
कहाँ गयी सोने की चिड़िया,
भरने दूषित-दूर उड़ाने?
कौन ले गया छीन हमारे,
अधरों की मीठी मुस्काने?
किसने हरण किया धरती का,
कहाँ गयी केशर क्यारी?
प्रजातन्त्र की नगरी की,
क्यों आज दुखी जनता सारी?
कौन राष्ट्र का हनन कर रहा,
माता के अंग काट रहा?
भारत माँ के मधुर रक्त को,
कौन राक्षस चाट रहा?
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बुधवार, 22 मई 2013
"कहाँ गयी केशर क्यारी?" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
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कुहरे ने सूरज ढका , थर-थर काँपे देह। पर्वत पर हिमपात है , मैदानों पर मेह।१। -- कल तक छोटे वस्त्र थे , फैशन की थी होड़। लेक...
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सपना जो पूरा हुआ! सपने तो व्यक्ति जीवनभर देखता है, कभी खुली आँखों से तो कभी बन्द आँखों से। साहित्य का विद्यार्थी होने के नाते...
मुझे आप को सुचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि
जवाब देंहटाएंआप की ये रचना 24-05-2013 यानी आने वाले शुकरवार की नई पुरानी हलचल
पर लिंक की जा रही है। सूचनार्थ।
आप भी इस हलचल में शामिल होकर इस की शोभा बढ़ाना।
मिलते हैं फिर शुकरवार को आप की इस रचना के साथ।
किसने लूटा वैभव अपना।
जवाब देंहटाएंसटीकता को प्रदर्शित करती सुन्दर रचना !!
जवाब देंहटाएंकौन राष्ट्र का हनन कर रहा,
जवाब देंहटाएंमाता के अंग काट रहा?
भारत माँ के मधुर रक्त को,
कौन राक्षस चाट रहा?
सुन्दर रचना शास्त्री जी ! किसी भी कोने पे नजर दौडायेंगे तो ऐसे बहुतेरे राक्षस नजर आ जायेंगे !
कौन राष्ट्र का हनन कर रहा,
जवाब देंहटाएंमाता के अंग काट रहा?
भारत माँ के मधुर रक्त को,
कौन राक्षस चाट रहा?
अदभूत .... राष्ट्र प्रेम से छलक़ती हुई दिल को छूनेवाली रचना
चारों ओर अब तो लुटेरे ही लुटेरे दिखते हैं ………सार्थक अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंसार्थक सन्देश देती,सटीकता को प्रदर्शित करती सुन्दर रचना,आभार आदरणीय.
जवाब देंहटाएंभारत का नेता ही ,भारत को चाट रहा है ,
जवाब देंहटाएंकुर्सी पे बैठा वह जन जन को काट रहा है ॥
आपकी प्रस्तुति कल के चर्चा मंच पर है
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
बहुत सुंदर सार्थक रचना,,,
जवाब देंहटाएंRecent post: जनता सबक सिखायेगी...
बहुत सारे ऐसे प्रश्न हैं जिनका समाधान ढूंढना होगा।
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति ..आभार . बाबूजी शुभ स्वप्न किसी से कहियो मत ...[..एक लघु कथा ] साथ ही जानिए संपत्ति के अधिकार का इतिहास संपत्ति का अधिकार -3महिलाओं के लिए अनोखी शुरुआत आज ही जुड़ेंWOMAN ABOUT MAN
गुरु जी को प्रणाम
जवाब देंहटाएंबहुत ही सटीक रचना प्रेरणात्मक ,जागरूक करती हुई
बहुत सुंदर सार्थक प्रस्तुति!! मेरा पोस्ट ' देश की आवाज बन सकते हैं हम 'भी पढ़े plz
जवाब देंहटाएंप्रणाम मयंक जी , सभी अनसुलझे सवाल और देश के हालात एक साथ
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना
राक्षस भी उत्तरदायी, किंतु वे देव और मानव भी कहां कम दोषी, जो बहते रक्त को वक्त रहते रोकते नहीं... जो घाव को देखते हैं, खुद पर सीधा असर न हो, तो अनदेखा करते हैं, सीधा असर हो तो अक्सर सहन करते हैं...
जवाब देंहटाएंबुरा जो देखन मैं चला...
आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (24-05-2013) को "ब्लॉग प्रसारण-5" पर लिंक की गयी है. कृपया पधारे. वहाँ आपका स्वागत है.
जवाब देंहटाएंसच में आज देश की हालत पतली हो गई :(
जवाब देंहटाएंआदरणीय आपकी यह कलापूर्ण रचना निर्झर टाइम्स पर 'विधाओं की बहार...' में संकलित की गई है।
जवाब देंहटाएंकृपया http://nirjhar.times.blogspot.com पर अवलोकन करें।आपकी प्रतिक्रिया सादर आमंत्रित है।
सादर
Bahut khoob
जवाब देंहटाएंI am a Ayurvedic Doctor.
Cancer Treatment, Kidney Care and Treatment, HIV AIDS