सत्य की हार
मची हुई है
चीख-पुकार
सूरज उगल रहा है
अन्धकार
चारों ओर है
मारा-मार
सूरज है ठण्डा
चाँद है गर्म
लील रहा है धर्म को
अब तो अधर्म
तन्त्र है निकम्मा
आती है शर्म
आदमी के हो गये
उल्टे अब कर्म
गांधी जी के पालतू
अब नहीं हैं वफादार
बन गये हैं फालतू
अब तो ओहदेदार
जहर उगलते हैं
बैठे हुए नाग
लगा दिया है बापू की
खादी पर दाग़
देश में गद्दार जिन्दा हैं
गांधी हम शरमिन्दा हैं
|
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
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गुरुवार, 16 मई 2013
"गांधी हम शरमिन्दा हैं" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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बेहतरीन अभिव्यक्ति मयंक जी शव्दों के माध्यम से सुन्दर विवेचना
जवाब देंहटाएंक्या बात है गुरु जी
जवाब देंहटाएंसही कहा आपने
बहुत सुन्दर,सटीक प्रस्तुति ! !
जवाब देंहटाएंlatest post हे ! भारत के मातायों
latest postअनुभूति : क्षणिकाएं
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति .आभार . ये गाँधी के सपनों का भारत नहीं .
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंदेश में गद्दार जिन्दा हैं
गांधी हम शरमिन्दा हैं------
भारत का सच
सटीक और सच्ची बात
आपको साधुवाद
आप शायद नाराज हैं
आशीर्वाद बनाये रखें
अब तो शर्म भी नहीं बची.
जवाब देंहटाएंदुख हमको भी गांधी जितना,
जवाब देंहटाएंऔर गिरेंगे जाने कितना।
बहुत सुन्दर,सटीक प्रस्तुति ! !
जवाब देंहटाएंउम्दा प्रस्तुति !!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर,सटीक प्रस्तुति ! !आभार
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंआपने लिखा....हमने पढ़ा
जवाब देंहटाएंऔर लोग भी पढ़ें;
इसलिए कल 18/05/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
धन्यवाद!
आदरणीय आपकी इस सार्थक रचना को 'निर्झर टाइम्स' पर लिंक करके कुछ गति देने का प्रयास किया गया है।कृपया http://nirjhar-times.blogspot.com पर अवलोकन करें।आपकी प्रतिक्रिया सादर आमंत्रित है।
जवाब देंहटाएंसच को कहती अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर...हां हम शर्मिंदा हैं..
जवाब देंहटाएंहम सब तो शर्मिंदा हैं,पर हम शब्द में नेता शामिल नहीं हैं,ये याद रहे.
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी अच्छी रचना के लिए आभार.
sashkt rachna!
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