सरकार से किया किनारा
बंसल की पैंठ
सोनिया का इशारा
मनमोहन का सहारा
बन गये मन्त्री
हो गये ठाठ
रिश्तेदार और सन्तरी
करने लगे बन्दरबाँट
--
बकरे की माँ
कब तक खैर मनाती
घूस आखिर
कब तक छिप पाती?
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मन्त्री के नाती
रँगे हाथ पकड़े गये
खुफिया तन्त्र के
जाल में जकड़े गये
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पटरी से रेल
बिगड़ने लगा
बना बनाया खेल
चक्के होने लगे जाम
तो जपने लगे
मनमोहन का नाम
--
याद आया बकरा
लाओ जल्दी से कोई भी
काला-सफेद या चितकबरा
करो पूजा पाठ
और कर दो हलाल
शायद हो जाये
कुछ कमाल!
--
लेकिन बकरे की
आह लायी रंग
दीवाली को रास न आया
होली का रंग और ढंग
सोनिया ने पूछा
पी.एम. से-
तब कहीं जाकर
विदा किया मनमोहन ने
बंसल को बेमन से!
--
लेकिन दूसरा चेहरा
लायें कहाँ से?
कोयले की खान में
सब काले ही काले हैं
रिश्वत लेने के लिए
सभी के जीजा हैं
और सभी के साले हैं....!
बकरा तो
शहीद हो गया
लेकिन जाते-जाते
श्राप दे गया
हम तो डूबे हैं सनम
तुमको भी ले डूबेंगे
.......! |
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घोटाला करेंगे तो यही हश्र होगा!! सुन्दर रचना :)
जवाब देंहटाएंनये लेख : एक बढ़िया एप्लीकेशन : ट्रू कॉलर।
महात्मा गाँधी की निजी वस्तुओं की नीलामी और विंस्टन चर्चिल की कार हुई नीलाम।
करारा वार किया है :)
जवाब देंहटाएंजाते जाते श्राप दे गया
जवाब देंहटाएंहम तो डूबे हैं तुम्हें भी ले डूबेंगे।
बात सही है
पर बंसल ने तो मलाई खाई थी
बेचारे बकरे की तो बस शामत ही आई थी।
बहुत सुंदर रचना
ये तो होना ही था,बेहतरीन प्रस्तुति,सादर आभार.
जवाब देंहटाएंव्यंग्यदार प्रस्तुति ...बहुत बढिया
जवाब देंहटाएंबकरे कि अम्मा आखिर कब तक खैर मनाती इसलिए दोनों को ही जाना था और चले गए !!
जवाब देंहटाएंये तो बकरे का उल्टा टोटका हो गया?:)
जवाब देंहटाएंरामराम.
सटीक व्यंग्य
जवाब देंहटाएंyahi hona tha aur ho hi gya ,thoda aur pahle ho jata to aur thik hota
जवाब देंहटाएंसटीक व्यंगात्मक पंक्तियाँ
जवाब देंहटाएंबकरे की जगह अगर करते गौदान !
जवाब देंहटाएंतो शायद हो जाता कल्याण!
गाय हमारी माता है
मातृ दिवस से नाता है
पर ये अकल कैसे आयेगी
दुरबुदधि जो मन से जायेगी
बलि चढाने वाला खुद बलि चढ़ गया
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