आम फलों का राजा होता
लीची होती रानी
गुठली ऊपर गूदा होता
छिलका है बेमानी
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जब बागों में कोयलिया ने,
अपना राग सुनाया
आम और लीची का समझो,
तब मौसम है आया
पीले, लाल-हरे रंग पर,
सब ही मोहित हो जाते
ये खट्टे-मीठे फल सबके,
मन को बहुत लुभाते
लीची पक जाती है पहले,
आम बाद में आते
बच्चे, बूढ़े-युवा प्यार से,
इनको जमकर खाते
ठण्डी छाँव, हवा के झोंके,
अगर चाहते पाना
घर के आँगन में फलवाले,
बिरुए आप लगाना
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lichi aur aam ke swadist guno me rang bharti rachna ,ati sundar
जवाब देंहटाएंसुन्दर चित्रो से सजी लीची ओर आम कि कविता सुन्दर लगी....
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत चित्रण किया है।
जवाब देंहटाएंवाह जी
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंआम देखे, ऐसी लीची नहीं देखी।
आम और लीची...गर्मी को खुशगवार बना देते हैं, बहुत मधुर रचना.
जवाब देंहटाएंरामराम.
सरल भाषा में लिखी आपकी रचनाये सुखद हैं ...
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें !
सुन्दर चित्रों से सजी बेहतरीन प्रस्तुति,मैंने तो बहुत सारे आम के पेड़ लगा रखें है.
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (26-05-2013) के चर्चा मंच 1256 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ
जवाब देंहटाएंमुँह में पानी आ गया.
जवाब देंहटाएंबहुत बेहतरीन सरल भाषा में सुंदर रचना,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST : बेटियाँ,
kya bat hai ....garmi ke side effects ko door karti rachna ....
जवाब देंहटाएंवाह,लीची और आम
जवाब देंहटाएंगरमी का कैसा रसभरा अंजाम !
guru ji pranamm
जवाब देंहटाएंरचना पढ़कर आपकी मेरा मन हर्षाया
लीची आम के स्वाद से मुंह में पानी आया
खुबसूरत चित्र के साथ आम और लीची के मीठा मीठा वर्णन बहुत अच्छा लगा !
जवाब देंहटाएंlatest post: बादल तू जल्दी आना रे!
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रसदार फल..
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना....
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