- माँ को नमन करते हुए!
- माता के उपकार बहुत,वो भाषा हमें बताती है!उँगली पकड़ हमारी माता,चलना हमें सिखाती है!!दुनिया में अस्तित्व हमारा,माँ के ही तो कारण है,खुद गीले में सोकर,वो सूखे में हमें सुलाती है!उँगली पकड़ हमारी……..देश-काल चाहे जो भी हो,माँ ममता की मूरत है,धोकर वो मल-मूत्र हमारा,पावन हमें बनाती है!उँगली पकड़ हमारी……..पुत्र कुपुत्र भले हो जायें,होती नही कुमाता माँ,अपने हिस्से की रोटी,बेटों को सदा खिलाती है!उँगली पकड़ हमारी……..ऋण नही कभी चुका सकता,कोई भी जननी माता का,माँ का आदर करो सदा,यह रचना यही सिखाती है!उँगली पकड़ हमारी……
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |

पिछले कई दिनों से इंटरनेट चल नहीं रहा है । एक पेज खुलने में एक घंटा लग जा रहा है। बीएसएनएल की जय कहने के अलावा और कोई चारा नहीं है :(
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना ।
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 20-11-2014 को चर्चा मंच पर तमाचा है आदमियत के मुँह पर { चर्चा - 1803 } में दिया गया है
जवाब देंहटाएंआभार
एक सप्ताह बाद ब्लॉग पर आया हूँ |सरल शब्दों में माँ का महिमा गान अच्छा लगा !
जवाब देंहटाएंma! tujhe salam!!!! bahut pyara geet. dil ko chhu gaya
जवाब देंहटाएंमाँ तो माँ है !
जवाब देंहटाएंमाँ को नमन
जवाब देंहटाएं