जल्दी ही मिल जायेगी, मौसम की सौगात।
नये साल के साथ में, सुधरेंगे हालात।१।
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दिन अब कुछ बढ़ने लगा, कुछ चहकी है धूप।
सर्दी का ढलने लगा, शीतल-शीतल रूप।२।
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अब थोड़े दिन की रही, शीतलता मेहमान।
बालकपन के बाद में, होते सभी जवान।३।
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मकर राशि में आयेगा, जब सूरज भगवान।
धरती को मिल जायेगा, बासन्ती परिधान।४।
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मास जनवरी चल रहा, गाओ मंगल गान।
आयेगा गणतन्त्र अब, लेकर विमल वितान।५।
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पतझड़ आते ही झड़े, सभी पुराने पात।
नवपल्लव से सजेगा, अब पेड़ों का गात।६।
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इसी मास के अन्त में, आयेगा ऋतुराज।
झूमेगा उल्लास से, अपना देश-समाज।७।
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बुधवार, 7 जनवरी 2015
"दोहे-नये साल के साथ में, सुधरेंगे हालात" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
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कुहरे ने सूरज ढका , थर-थर काँपे देह। पर्वत पर हिमपात है , मैदानों पर मेह।१। -- कल तक छोटे वस्त्र थे , फैशन की थी होड़। लेक...
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सपना जो पूरा हुआ! सपने तो व्यक्ति जीवनभर देखता है, कभी खुली आँखों से तो कभी बन्द आँखों से। साहित्य का विद्यार्थी होने के नाते...
बहुत खूब ………
जवाब देंहटाएंमंगलकामनाएं !
आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (09.01.2015) को "खुद से कैसी बेरुखी" (चर्चा अंक-1853)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, चर्चा मंच पर आपका स्वागत है।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना.
जवाब देंहटाएंदिन अब कुछ बढ़ने लगा, कुछ चहकी है धूप।
जवाब देंहटाएंसर्दी का ढलने लगा, शीतल-शीतल रूप।२। सुन्दर
सभी सार्थक दोहे !
सुन्दर मंगल गान ....
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