भोले-भाले लोग हैं, सीधा विमल वितान।
गाँवों में ही तो बसा, अपना हिन्दुस्तान।१।
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कोई निरक्षर ना रहे, करो साक्षर देश।
पढ़-लिख करके साथियों, बदलो अब परिवेश।२।
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निर्धन-श्रमिक-किसान को, शिक्षा का दो दान।
अलख जगाओ ज्ञान की, गाँवों में श्रीमान।३।
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लुटे नहीं अब देश में, माँ-बहनों की लाज।
बेटी को शिक्षित करो, उन्नत करो समाज।४।
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जिस घर में बेटी रहे, समझो वो हरिधाम।
दोनों कुल का बेटियाँ, करतीं ऊँचा नाम।५।
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नारी नर की खान है, जग की सिरजनहार।
क्यों पुत्रों की चाह में, रहे पुत्रियाँ मार।६।
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कुलदीपक की खान को, देते हो क्यों दंश।
अगर न होंगी नारियाँ, नहीं चलेगा वंश।७।
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माता शिक्षित है अगर, देगी सुत को ज्ञान।
सभ्य-सुघड़ सन्तान से, होगा देश महान।८।
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गुरुवार, 22 जनवरी 2015
"दोहे-करो साक्षर देश" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (23.01.2015) को "हम सब एक हैं" (चर्चा अंक-1867)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, चर्चा मंच पर आपका स्वागत है।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन दोहे।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर दोहे
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लोग्स पर आपका स्वागत है .
धन्यवाद.
विजय
जिस घर में बेटी रहे, समझो वो हरिधाम।
जवाब देंहटाएंदोनों कुल का बेटियाँ, करतीं ऊँचा नाम।..बिल्कुल सही। सुंदर दोहे।
नारी नर की खान है, जग की सिरजनहार।
जवाब देंहटाएंक्यों पुत्रों की चाह में, रहे पुत्रियाँ मार।६।
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कुलदीपक की खान को, देते हो क्यों दंश।
अगर न होंगी नारियाँ, नहीं चलेगा वंश।७।
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माता शिक्षित है अगर, देगी सुत को ज्ञान।
सभ्य-सुघड़ सन्तान से, होगा देश महान।८
-प्रेरणा-पूर्ण और सार्थक दोहे .
आज 29/जनवरी/2015 को आपकी पोस्ट का लिंक है http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!