आज तुम्हारे जन्मदिवस पर, महक रहा सारा उपवन।
खुशियों की बन्दनवारों से, चहक रहा है घर-आँगन।।
रिमझिम बदरा बरस रहे हैं, धरती की चूनर धानी,
इन्द्र देवता करने आये, चौमासे की अगवानी,
मलयानिल पर्वत से चलकर, आया मन्द-सुगन्ध पवन।
खुशियों की बन्दनवारों से, चहक रहा है घर-आँगन।।
वर्षगाँठ पर मम्मी-पापा, देगें कुछ उपहार तुम्हें,
स्वर्गलोक से दादा-दादी, देंगे पावन प्यार तुम्हें,
यही कामना करते हैं सब, फूले जीवन का गुलशन।
खुशियों की बन्दनवारों से, चहक रहा है घर-आँगन।।
प्राची और प्रांजल भी तो, फूले नहीं समाते हैं,
इस शुभबेला पर दोनों ही, खूब मिठाई खाते हैं,
दुआ यही करते सुखमय हो, चाचा-चाची का जीवन।
खुशियों की बन्दनवारों से, चहक रहा है घर-आँगन।।
भइया-भाभी के तुम ही तो, छोटे भाई दुलारे हो,
इस छोटी आँगनबाड़ी के, पुष्प सलोने प्यारे हो,
सरदी-गरमी, चौमासे में, स्वस्थ रहे कोमल तनमन।
खुशियों की बन्दनवारों से, चहक रहा है घर-आँगन।।
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मंगलवार, 21 जून 2016
मंगलगान "कनिष्ठ पुत्र विनीत का जन्मदिन" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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