जीवन से कम हो गया, एक सुहाना साल।
क्या खोया क्या पा लिया, करे कौन पड़ताल।।
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मना रहा है जन्मदिन, मेरा कुल परिवार।
अपने-अपने ढंग से, लाये सब उपहार।।
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जीवन-साथी चल रहा, थाम हाथ में हाथ।
चार दशक से अधिक से, हम दोनों हैं साथ।।
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धीरे-धीरे कट गये, अपने सढ़सठ साल।
प्यार और तकरार में, हुआ न कभी बबाल।।
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होते घर-परिवार में, कभी-कभी मतभेद।
किन्तु न होने चाहियें, आपस में मनभेद।
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सुख सरिता में हो सदा, सीधा-सरल बहाव।
पार करे भवसिन्धु को, जीवन की ये नाव।।
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ज्यादातर तो कट गयी, थोड़ी है अवशेष।
गुज़र जाय वो शान से, जितनी भी है शेष।।
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जगतनियन्ता आपसे, इतना है अनुरोध।
जब तक इस जग में रहूँ, रखना मुझे सुबोध।।
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होते बढ़ती उमर में, शिथिल सभी के अंग।
किन्तु बुद्धि मम् भाल से, ईश न करना भंग।।
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ईश सदा करना कृपा, लगे न कोई रोग।
अन्तसमय तक अंग सब, मेरे रहें निरोग।।
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बीत गये सुख के यहाँ, सढ़सठ आज बसन्त।
देने को शुभकामना, आये सब श्रीमन्त।।
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दिल से निकली भावना, है सच्चा उपहार।
जन्मदिवस पर सभी का, करता हूँ आभार।।
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शनिवार, 3 फ़रवरी 2018
दोहे "अपने सढ़सठ साल" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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जन्म दिवस पर अग्रिम शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंउत्तर से उन्नति,
दक्षिण से दायित्व ,
पूर्व से प्रतिष्ठा,
पश्चिम से प्रारब्ध,
आग्नेय से उर्जा,
नैऋत्य से नैतिकता,
वावव्य से वैभव,
ईशान से ऐश्वर्य,
आकाश से आमदनी,
पाताल से पूंजी,
दसों दिशाओ से
शान्ति, सुख समृद्धि,
और सफलता प्राप्त हो
आपको आपके जन्म दिवस पर शुभकामनाएँ!
सादर