दिल से निकली भावना, है सच्चा उपहार।
जन्मदिवस पर सभी का, करता हूँ आभार।।
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वही चौपाल-चौबारे,
वही गलियाँ, वही द्वारे, मगर इन्सान बेदम हैं! दिलों में उल्फतें कम हैं!! वही गुलशन वही कलियाँ, वही फूलों भरी डलियाँ, घटी खुशियाँ, बढ़े ग़म हैं! दिलों में उल्फतें कम हैं!! हँसी झूठी, कमर टूटी, लबों पर बेबसी फूटी, नज़ारों की नज़र नम है! दिलों में उल्फतें कम हैं!! वही पत्ते, वही डाली, वही भोजन, वही थाली, वही वो हैं वही हम हैं! दिलों में उल्फतें कम हैं!! |
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मंगलवार, 6 फ़रवरी 2018
गीत "दिलों में उल्फतें कम हैं" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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