हिन्दुस्तानी
सभ्यता, पर होता है गर्व।
पञ्च पर्व के साथ
में, जुड़ा दीवाली पर्व।।
धनतेरस त्यौहार पर,
घर लाना कंदील।
लाना शुद्ध
मिठाइयाँ, और धान की खील।।
पर्व सभी देते
हमें, यह पावन सन्देश।
कूड़ा-करकट को
हटा, स्वच्छ करो परिवेश।।
दीपक यम के नाम
का, कूड़ाघर पर बाल।
इसे बालने से
नहीं, होती मृत्यु अकाल।।
सागर मन्थन में
मिले, लछमी और कुबेर।
दीपक इनके नाम का,
करता दूर अँधेर।।
आवश्यक हो जो
वही, क्रय करना सामान।
नहीं दिखानी चाहिए,
अपनी झूठी शान।।
जो तन पर अच्छा
लगे, पहनो वो परिधान।
काले वस्त्रों में
लगे, मानव असुर समान।।
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आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (05-11-2018) को "धनतेरस की हार्दिक शुभकामनाएँ" (चर्चा अंक-3146) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
राधा तिवारी
बहुत ही सुन्दर, 👌
जवाब देंहटाएंपर्व सभी देते हमें, यह पावन सन्देश।
जवाब देंहटाएंकूड़ा-करकट को हटा, स्वच्छ करो परिवेश।।
दीपक यम के नाम का, कूड़ाघर पर बाल।
इसे बालने से नहीं, होती मृत्यु अकाल।।
राम लला के नाम का दीपक भी एक बाल ,
फैज़ाबाद अजुध्या में फिर से जले मशाल।
सियावर राम चंद्र की जय उमापति महादेव की जय।
दोहावली श्री शास्त्री जी की सार्थक सन्देश लायी है ,
चीनी माल पे थू थू स्वदेसी की बन आयी है।
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