(१) जालजगत है देवता, कम्प्यूटर भगवान। शोभा है यह मेज की, ऑफिस की है शान।। ऑफिस की है शान, सजाता अनुबन्धों को। दूर देश में बहुत, बढ़ाता सम्बन्धों को।। कह मयंक कविराय, अनागत ही आगत है। सबसे ज्ञानी अब दुनिया में जालजगत है।। (२) कम्प्यूटर अब बन गया, जीवन का आधार। इसके बिन चलता नही, चिट्ठों का व्यापार।। चिट्ठों का व्यापार, लेख-रचना का आँगन। चिट्ठी-पत्री, बातचीत का है यह साधन।। कह मयंक कविराय, यही है उन्नत ट्यूटर। खाता-बही हटाय, लगाओ अब कम्प्यूटर।। |
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मंगलवार, 12 अप्रैल 2011
"दो कुण्डलियाँ" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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बहुत सुन्दर कुण्डलियाँ…………शानदार प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी एक धृष्टता कर रही हूँ, जरा इस पंक्ति को देखें - "दूर देश में बहुत, बढ़ाता सम्बन्धों को" यह लय में नहीं है। वैसे बहुत ही बढिया कुण्डियां हैं। बस इस पंक्ति को दोबारा लिखेंगे तो आनन्द दौ्गुणा हो जाएगा।
जवाब देंहटाएं@ajit gupta Ji
जवाब देंहटाएं"दूर देश में बहुत, बढ़ाता सम्बन्धों को"
यह लय में भी है और मीटर पर भी बिल्कुल फिट है!
--
टिप्पणी के लिए आभार!
मीटर में तो है, यह तो मैंने देख लिया था लेकिन कहीं कुछ अटकता है इसलिए मैंने लिखा था। फिर आप जैसा उचित समझे।
जवाब देंहटाएंantar jal ka aisa hi fail raha hai jal,
जवाब देंहटाएंjo isme nahi fansta vah rah jata kangal.
bahut sundar prastuti.
सच है आज बिना कंप्यूटर के काम चलना
जवाब देंहटाएंCoral
वाह, यह लगी विकास की पुकार।
जवाब देंहटाएंआपकी नजर और दोहे कविता का अवतरण.
जवाब देंहटाएंकहीं भी, कभी भी.
खजाने में एक मोती और...
आज के दौर के लिए एकदम सच्ची कुंडलियाँ.
जवाब देंहटाएंवाह वाह ... बहुत सही लिखा आपने !
जवाब देंहटाएंकम्प्यूटर जी के बिना, अब कोई भी काम सम्भव नहीं.. बढ़िया, बढ़िया और बहुत बढ़िया..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर शानदार कुण्डलियाँ|धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंवाह !
जवाब देंहटाएं:)
aaj ke vikas sheel vaqt ko ujaagar karti behtereen kundiliyan.pahle laptop ab computer aage na jaane aur kitne new madhyam aayenge jinpar aur kundliyon ki rachna karni padegi aapko.bahut hi rochak prastuti.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कुण्डलियाँ...
जवाब देंहटाएंमयंक जी विकास का आनंद उठाइए, और मेज की शोभा कम्प्यूटर से बढाइये|
वाह वाह .....
बहुत अच्छी कुण्डलियाँ ..नए ज़माने की .
जवाब देंहटाएंसुन्दर कुण्डलियाँ.
जवाब देंहटाएंमयंक जी, आपका जवाब नहीं।
जवाब देंहटाएं............
ब्लॉगिंग को प्रोत्साहन चाहिए?
लिंग से पत्थर उठाने का हठयोग।
कम्प्यूटर अब बन गया, जीवन का आधार।
जवाब देंहटाएंइसके बिन चलता नही, चिट्ठों का व्यापार।।
चिट्ठों का व्यापार, लेख-रचना का आँगन।
चिट्ठी-पत्री, बातचीत का है यह साधन।।
कह मयंक कविराय, यही है उन्नत ट्यूटर।
खाता-बही हटाय, लगाओ अब कम्प्यूटर।।...
Wonderful 'Kundaliyan' !
Computer is so essential now a days.
It is more or less a lifeline for me.
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इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंजालजगत आनन्द है,लेकिन रहे सतर्क,
जवाब देंहटाएंफ़स गये जो जाल मे,चले न कोइ तर्क.
मन मे रहेगा गम,ब्लाग तो करना होगा,
चले न कोइ तर्क भुगतना ही फिर होगा.
बढ़िया कुंडलियाँ है सर... ज़माने के साथ लिपटी हुयी...
जवाब देंहटाएंमज़ा आ गया...
सादर...
कम्प्यूटराय नम:
जवाब देंहटाएंaapki kundaliyon aur computer ke bagair jeevan adhoora sa hai!
जवाब देंहटाएं