प्यार और मित्रता Love and Friendship a poem by Emily Bronte अनुवादक-डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक" |
प्रेम और मित्रता का भेद मानो जंगली गुलाब और पवित्र पेड़ -- पवित्र वृक्ष चमकता नहीं खिलखिलाता नही प्यार टिमटिमाता है झिलमिलाता है प्रकाश स्थिर नहीं रहता मगर अन्धकार अधिक समय तक साथ निभाता है -- जंगली गुलाब मानो वसन्त की मीठी फुहार इसकी ऊष्मा जैसे सुगन्धित बयार लेकिन सर्दी आने का मुझे है इन्तजार तब कौन पुकारेगा निष्पक्ष होकर जंगली गुलाब को जब मूर्ख जंगली गुलाब का हार मुरझा जाएगा और दोस्ती का पवित्र वृक्ष चमकेगा दिसम्बर में |
Emily Bronte (1818 - 1848) |
लाज़वाब !
जवाब देंहटाएंसुन्दर कविता, बेहतरीन अनुवाद।
जवाब देंहटाएंकविता के भावों में सच्चाई है।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे अनुवाद के लिये धन्यवाद,,
जवाब देंहटाएंवाह …………बहुत ही शानदार अनुवाद्।
जवाब देंहटाएंwaah !jbaab nhi !aapka or Emil Bronte ka !dhanyvaad !
जवाब देंहटाएंबढ़िया अनुवाद सुन्दर कविता.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कविता और उतना ही सुन्दर अनुवाद..आभार
जवाब देंहटाएंdosti aur prem ka bhed prasang achcha hai aur anuvaad usse bhi achcha.
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