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Bahut hi 'tasty' kavita hai !
जवाब देंहटाएंवाह्……………आज तो ककडी की महिमा का गुणगान हो गया …………पढने के बाद खाने को मन करने लगा।
जवाब देंहटाएंमौसम के अनुकूल कविता... बहुत सुन्दर ..
जवाब देंहटाएंsundar chhavi ke saath utni hi sundar kavita...
जवाब देंहटाएंवाह ! आखिर मिल ही गया आज का सब्जेक्ट ! वो भी इतनी प्यारी ककड़ी ! किस को नही भाएगी
जवाब देंहटाएंhan aur ek bat, pata chala hai ki injection ka bhi istemal kiya jaa raha hai : SAWDHAN>>>>>>>>>>>>
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ....मौसम के अनुकूल रचना
जवाब देंहटाएंकविता के साथ तस्वीरें इतनी अच्छी हैं कि खाने का मन हो आया...
जवाब देंहटाएंककड़ी री ककड़ी
जवाब देंहटाएंतू क्यूँ अकड़ी
अब गर्मी आई है तो
जायेगी तू पकड़ी
तेरे बढते दामों को देख
दिल की धडकन सबकी धडकी
माना तू है सबकी प्यारी
करले फिर सबसे यारी
कुछ सस्ती हो जा ओ रानी
फिर सभी भरेंगें तेरा ही पानी.
वाह! शास्त्रीजी वाह! आपसे कविता नहीं तो
तुकबंदी तो जरूर सीख जायेंगे.
अरे गुरु जी, अभी कुछ ही दिन पहले जब मैं मुरादाबाद से दिल्ली आ रहा था तो गढ़ पे जाम लगा हुआ था, मैंने भी जाम में खड़े खड़े ककड़ियां खरीदी और मज़े से काले नमक के साथ खाई....बहुत मज़ा आया!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर मौसमी कविता ..ककड़ी का भी अपना अलग मज़ा है ...और आपने तो उस पर रचना ही लिख दी ...बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंkakdi bhi dhany ho gayi , aapke dwara shabdon mein dhalne ke baad.
जवाब देंहटाएंवाह ... आज तो ककड़ी है आपकी रचनाओं की कड़ी में ..बहुत खूब .. ।
जवाब देंहटाएंजीवन से जुड़े विषयों पर प्यारी प्यारी कवितायें।
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