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इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंगर्मी की बात ही निराली है !
जवाब देंहटाएंन छाव है न पानी है !
सुंदर रचना
प्यारी सी बाल कविता।
जवाब देंहटाएंवाह वाह बहुत सुन्दर बाल कविता रच दी है।
जवाब देंहटाएंNice words and nice pics
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लिखा है आपने
मेरे ब्लॉग पर आकर उत्साहवर्धन करें.
दुनाली
इसको पढ़कर मज़ा आ गया,
जवाब देंहटाएंगरमी में शीतल सुख पाया!
वाह बच्चों की तो बल्ले बल्ले :)
जवाब देंहटाएंbahut achchi baal kavita.
जवाब देंहटाएंदेखकर ही गर्मी भाग सी रही है ..प्यारी सी कविता।
जवाब देंहटाएंdhanyavaad, garmi se bachane ke upayon ke liye..
जवाब देंहटाएंनिम्बू,लौकी परवल खीरा हुए सब आपे से बाहर
जवाब देंहटाएंदूध में अब तो है केवल एक मिलावट ही सार
ताजे शीतल जल का सब तरफ हो रहा अकाल
बिजली ने भी आँख मिचौली से किया है बेहाल
फिर बताएं 'शास्त्रीजी'कैसे बैठाएं गर्मी से ताल
आप मेरे ब्लॉग पर क्यूँ नहीं आ रहें है,इतनी गर्मी न मनायियेगा,प्लीज.
काव्यमय उपाय बता दिया।
जवाब देंहटाएंसुंदर चित्र।
अब गर्मी का मौसम क्या बिगाड़ लेगा ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर!
कल तक रुत थी बहुत सुहानी।
जवाब देंहटाएंअब गर्मी पर चढ़ी जवानी।।
सटीक और सामयिक.बहुत बढ़िया
बहुत सुन्दर सन्देश देती रचना
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना !!
जवाब देंहटाएंwah ...!!
जवाब देंहटाएंbadhia bal kavita ....
इस प्यारे से बाल गीत को पढ़ कर तो बचपन ही याद आ गया ....आभार !
जवाब देंहटाएंab to garmi ne shabaab pe aana shuru kiya hai!
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