जब गरमी की ऋतु आती है! लू तन-मन को झुलसाती है!! तब आता तरबूज सुहाना! ठण्डक देता इसको खाना!! यह बाजारों में बिकते हैं! फुटबॉलों जैसे दिखते हैं!! एक रोज मन में यह ठाना! देखें इनका ठौर-ठिकाना!! पहुँचे जब हम नदी किनारे! बेलों पर थे अजब नजारे!! कुछ छोटे कुछ बहुत बड़े थे! जहाँ-तहाँ तरबूज पड़े थे!! इनमें से था एक उठाया! बैठ खेत में इसको खाया!! इसका गूदा लाल-लाल था! |
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गुरुवार, 7 अप्रैल 2011
"ठण्डे रस का भरा माल था" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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sunder bal kvita
जवाब देंहटाएंएक दम से मन कर रहा है कि इसे खा लूं।
जवाब देंहटाएंबहुत सरस कविता।
आपने तो ललचा दिया तरबूजे को दिखाकर, किन्तु आपकी कविता की रसों ने भरपूर स्वाद दिया, आभार !
जवाब देंहटाएंसुबह तरबूज खरीदने ही बाजार गए लेकिन कई जगह रास्ते बन्द थे तो बिना खरीदे ही वापस आना पड़ा। अब आप इतने चटक लाल तरबूज दिखा रहे हैं और मन को ललचा रहे हैं!
जवाब देंहटाएंaha... tarjuba
जवाब देंहटाएंतरबूज आहा
जवाब देंहटाएंमूँह में पानी आ गया शास्त्री जी...
जवाब देंहटाएंआपकी कविता की मिठास ने तरबूज को और मीठा बना दिया.बहुत प्यारी बाल कविता.
जवाब देंहटाएंअब तो खाना ही पड़ेगा.
प्रिय शास्त्री चाचा जी
जवाब देंहटाएंसादर सस्नेहाभिवादन !
आना पड़ेगा आपके यहां अब …
बहुत अच्छी रचना है ।
नवरात्रि की शुभकामनाएं !
साथ ही…
*नव संवत्सर की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !*
नव संवत् का रवि नवल, दे स्नेहिल संस्पर्श !
पल प्रतिपल हो हर्षमय, पथ पथ पर उत्कर्ष !!
चैत्र शुक्ल शुभ प्रतिपदा, लाए शुभ संदेश !
संवत् मंगलमय ! रहे नित नव सुख उन्मेष !!
- राजेन्द्र स्वर्णकार
muh mein water...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर बालगीत..फोटो देख कर मन ललचा गया..आभार
जवाब देंहटाएंAapkaa khet shashtri Jee ?
जवाब देंहटाएंमुंह में पानी आ गया..
जवाब देंहटाएंमेरे पापा कहते थे कि खेत से तोड़ कर वहीँ उसे फोड कर तरबूज खाने का अपना ही मजा है...आज आपकी कविता ने वो मजा दिला दिया.
जवाब देंहटाएंआभार.
तरबूजे इतने अच्छे पहले कभी नहीं लगे । अब तो तरबूजे खरीदने जाना ही पडेगा ....
जवाब देंहटाएंवाह वाह, सुन्दर।
जवाब देंहटाएंबहुत सरस ....तरबूज के साथ कविता भी
जवाब देंहटाएंवाह शास्त्री जी आप ने हमें गाँव के खेतों में पाहुचा दिया
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर बाल कविता
इस बार का मौसम अभी तक तरबूज की लाली देखने को तरसा रहा है !
जवाब देंहटाएंबहुत सरस कविता।
जवाब देंहटाएंवाह वाह …………मुंह में पानी आ गया..
जवाब देंहटाएंto garmi ka pancham lahra diya aapne.bahut khoob.bahut saral bachchon ki tarah hi pyari si rachna.
जवाब देंहटाएंवाह ...बहुत ही खूबसूरत शब्दों के साथ बेहतरीन प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कविता ..तरबूज तो रसभर आया .. पर आपकी तस्वीर भी अच्छी लगी... और कटा हुवा तरबूज तो बेहद सुन्दर फोटोग्राफी
जवाब देंहटाएं