मुस्काते उपवन में आकर, चाँदी की संगत में आकर, लोहा भी इस्पात बन गया।। अनुगामी विख्यात बन गया। चाँदी की संगत में आकर, लोहा भी इस्पात बन गया।। चाँदी की संगत में आकर, |
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गुरुवार, 21 अप्रैल 2011
"लोहा भी इस्पात बन गया" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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bahut khoob shashtri sahab..
जवाब देंहटाएंsir bahut sundar rachana ....abhaar
जवाब देंहटाएंसुस्ती भागी-मस्ती जागी,
जवाब देंहटाएंत्यागी बन बैठे अनुरागी,
माया और मेनका पाकर,
अपराधी-कुख्यात बन गया।
चाँदी की संगत में आकर,
लोहा भी इस्पात बन गया।।...
sundar geet.
चाँदी की संगत में आकर,
जवाब देंहटाएंलोहा भी इस्पात बन गया।।
क्या कहूं...आपके लिए कुछ भी कहना मेरे लिए मुमकिन नहीं
यही कहूंगी- लाजवाब....
लोहे को भी अपनी किस्मत पर नाज करा दिया आपने....
कमाल की अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंचाँदी की संगत में आकर,
लोहा भी इस्पात बन गया।।
वैज्ञानिक तौर पर लोहा कार्बन की संगत पा कर इस्पात बनता है |
अति सुंदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंशानदार रचना, बधाई।
जवाब देंहटाएं---------
भगवान के अवतारों से बचिए...
जीवन के निचोड़ से बनते हैं फ़लसफे़।
सुंदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंअच्छे है आपके विचार, ओरो के ब्लॉग को follow करके या कमेन्ट देकर उनका होसला बढाए ....
जवाब देंहटाएंसुफल जीवन दर्शन।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर व्यंजना।
जवाब देंहटाएंआभार।
माया और मेनका पाकर,
जवाब देंहटाएंअपराधी-कुख्यात बन गया।
क्या बात है शास्त्रीजी पहले ज़माने में तो मेनका को पाकर विश्वामित्र बना करते थे.
और विज्ञान के हिसाब से लोहे में मुख्य रूपसे कार्बन
मिले तो ही इस्पात बनता है.
अब संगत की तो महिमा ही निराली है.
आपकी शानदार प्रस्तुति को प्रणाम.
मेरे ब्लॉग पर दर्शन दें,नई पोस्ट जारी करदी है.
बहुत बढ़िया रचना ..संगत का असर तो होना ही है ..
जवाब देंहटाएंचाँदी की संगत में आकर,
जवाब देंहटाएंलोहा भी इस्पात बन गया।।
bahut achchi lagi.
सुन्दर चित्रों से सजी अति सुन्दर भावाभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंसुस्ती भागी-मस्ती जागी,
जवाब देंहटाएंत्यागी बन बैठे अनुरागी,
माया और मेनका पाकर,
अपराधी-कुख्यात बन गया।
चाँदी की संगत में आकर,
लोहा भी इस्पात बन गया।।
बहुत खूब शास्त्री जी --कमाल की रचना है --
शानदार लिखा है आपने. बधाई स्वीकार करें
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर आयें और अपनी कीमती राय देकर उत्साह बढ़ाएं
समझो : अल्लाह वालो, राम वालो
सुन्दर पैबन्दों को पाकर,
जवाब देंहटाएंमखमल जैसा, टाट बन गया।
चाँदी की संगत में आकर,
लोहा भी इस्पात बन गया।।
बहुत सही कहा। सुन्दर रचना के लिये बधाई।
सुस्ती भागी-मस्ती जागी,
जवाब देंहटाएंत्यागी बन बैठे अनुरागी,
माया और मेनका पाकर,
अपराधी-कुख्यात बन गया।
चाँदी की संगत में आकर,
लोहा भी इस्पात बन गया।।...
वाह वाह बहुत सुन्दर रचना…………और ये बात तो बिल्कुल सही कही है……………शानदार ।
माया और मेनका पाकर,
जवाब देंहटाएंअपराधी-कुख्यात बन गया।
चाँदी की संगत में आकर,
लोहा भी इस्पात बन गया।।.....kya kahne hain.....bahut bahut pasand aai yeh kavita.
शाखों पर कलिकाएँ महकीं,
जवाब देंहटाएंतितली सी बालाएँ चहकीं,
मुस्काते उपवन में आकर,
चन्दन जैसा गात बन गया।
चाँदी की संगत में आकर,
लोहा भी इस्पात बन गया।।
आपकी यह कविता एक अलग ही भाव-संसार में ले जाती है..
बहुत ही गहरे भाव....
हार्दिक बधाई !
चाँदी की संगत में आकर,
जवाब देंहटाएंलोहा भी इस्पात बन गया।।
सुन्दर अभिव्यक्ति...शानदार रचना...आभार