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सोमवार, 25 अप्रैल 2011
"मिट्टी से है बनी सुराही" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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अगर कभी बाहर हो जाना,
जवाब देंहटाएंसाथ सुराही लेकर जाना।
घर में भी औ' दफ्तर में भी,
इसके जल से प्यास बुझाना।।
wah ...surahi ka pani,sochkar hi pyas lag gayee.
Aisi garmi me suraahi ka meetha paani tann aur mann dono ko sheetalta pradaan karta hai....
जवाब देंहटाएंवाह वाह ……………सुराही की खूबियों का बहुत सुन्दर चित्रण किया है।
जवाब देंहटाएंbahut sunda bhavon ko samay aapki rachna man ko bhi sheetal kar gayee .aabhar
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया लिखा है आपने
जवाब देंहटाएंअगर कभी बाहर हो जाना,
जवाब देंहटाएंसाथ सुराही लेकर जाना।
घर में भी औ' दफ्तर में भी,
इसके जल से प्यास बुझाना।।
sunder rachna ke liye bahut bahut badhai
इसमें भरा हुआ सादा जल,
जवाब देंहटाएंअमृत जैसा गुणकारी है।
जी हाँ इस सुराही का शीतल जल अमृत जैसा ही गुणकारी होता है...
अच्छी रचना...
अपने छोटी से छोटी चीज़ पर भी इतनी सुन्दर कवितायें लिख कर उनकी एहमियत को बढा दिया है। बधाई।
जवाब देंहटाएंसुराही का जल नाम ही तृप्ति के लिये पर्याप्त है ।
जवाब देंहटाएंराही को सुराही, प्यास बुझाने के लिये।
जवाब देंहटाएंपारंपरिक प्रतिमानों का महत्व बढाती कविता...
जवाब देंहटाएंsuraahi ka mahatv aaj ke bachchon ko bahut achche se samjhaya hai.bahut sunder kavita.
जवाब देंहटाएंशास्त्री साहब आपकी लेखनी को नमन...
जवाब देंहटाएंसच मे सुराही का पानी ठंडा होता हे जी, बहुत सुंदर रचना, धन्यवाद
जवाब देंहटाएंhar baar kuchh naya aur anokha!!
जवाब देंहटाएंसीधे सरल शब्दों में .....वाह .....सादर !
जवाब देंहटाएंSuraahi ki khoobiyon ko bahut bakhaan kiya hai aapne .... lajawaab ...
जवाब देंहटाएंबॉल कविताओं की यादें ताज़ा करा देते हैं आप शास्त्री जी
जवाब देंहटाएंबचपन में ले जाते हैं हमको
इसमें भरा हुआ सादा जल,
जवाब देंहटाएंअमृत जैसा गुणकारी है।
प्यास सभी की हर लेता है,
निकट न आती बीमारी है।।
सादगीपूर्ण रचना.