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छोटे शास्त्री जी के चित्रांकन के क्या कहने... और पंडित जी आपकी कविता बचपन के गलियारों में ले जाती हैं.
जवाब देंहटाएंकविता का चित्र और चित्र की कविता....दोनों सुन्दर
जवाब देंहटाएंबधाई प्रांजल...
bahut sundar chitra hai aur kavita ne chaar chaand laga diye..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चित्र और और उस चित्र के अहसासों में पहुँचाने वाली सशक्त भावपूर्ण कविता..आभार
जवाब देंहटाएंचित्र और कविता .. दोनो लाजबाब हैं .. प्रांजल शास्त्री को शुभकामनाएं !!
जवाब देंहटाएंnice! nice!!!!!!!!!!!
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट की चर्चा कल (18-12-2010 ) शनिवार के चर्चा मंच पर भी है ...अपनी प्रतिक्रिया और सुझाव दे कर मार्गदर्शन करें ...आभार .
जवाब देंहटाएंhttp://charchamanch.uchcharan.com/
सशक्त भावपूर्ण कविता..आभार
जवाब देंहटाएंसुन्दर पोस्ट!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कविता लिखी है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चित्र और कविता.
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति, बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चित्र जी प्रांजल शास्त्री को बहुत बहुत प्यार ओर आशिर्वाद, ओर बहुत सुंदर कविता.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
बहुत सुन्दर चित्र और सुन्दर कविता ....प्रिय प्रांजल को बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंkya kahu.....sat sat pranam karta hu aapki lekhni ko aur aapko....aaj bas aap jaise mahan aatmao ke chalte hi to kaavya jagat jivit hai.....bhut hi sundar lagti hai aapki rachna......humsab par yuhi aashirwaad banaye rakhe....dhanyawaad
जवाब देंहटाएंचित्र और कविता .. दोनो लाजबाब हैं॥
जवाब देंहटाएंप्रांजल बेटा को हार्दिक बधाई।
जवाब देंहटाएं---------
छुई-मुई सी नाज़ुक...
कुँवर बच्चों के बचपन को बचालो।
कविता और चित्र प्राँजल की तरह ही सुन्दर हैं बधाई और उसे आशीर्वाद।
जवाब देंहटाएंचित्रकार प्रांजल तो चित्रकार है
जवाब देंहटाएंआप तो शब्द चित्र ही बना डाले
बेहतरीन चित्र और शब्द चित्र
सुन्दर गीत!
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