सजे कैसे कोई महफिल, किसी के सुर नहीं मिलते बहुत ऐसे भी गुलशन हैं, जहाँ पर गुल नहीं खिलते दिलों में दूरियाँ, लेकिन दिखावा प्यार का होता सभी है नाम के दर्जी, फटी चादर नहीं सिलते ![]() चलें गोली, फटें गोले, नहीं मतलब किसी को है जहाँ मुर्दार बस्ती हो, वहाँ नरमुण्ड नहीं हिलते, विदेशी खून के धारे, नसों में जिनकी बहते हों वहाँ पर देश भक्तों के, कभी चेहरे नहीं खिलते सजेगा “रूप” अब कैसे, यहाँ केशर की क्यारी का रिसाले अब अहिंसा के, दुकानों में नहीं मिलते |
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सोमवार, 17 अक्तूबर 2011
"किसी के सुर नहीं मिलते" ( डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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बड़ी सीधी, सरल व प्रभावमयी।
जवाब देंहटाएंbahut hee sundar...
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट रचना, बधाई।
जवाब देंहटाएंसजेगा “रूप” अब कैसे, यहाँ केशर की क्यारी का
जवाब देंहटाएंरिसाले अब अहिंसा के, दुकानों में नहीं मिलते
वाह वाह! बहुत ही बेहतरीन लिखा है शास्त्री जी... हर एक शे'अर बहुत ही बेहतरीन!
बहुत खूब ||
जवाब देंहटाएंबधाई ||
आह, क्या खूबसूरत ग़ज़ल है यह शास्त्री जी। बधाई।
जवाब देंहटाएंbahut prabhaavshali rachna.badhaai.mera blog aapka intjaar kar raha hai.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुती....
जवाब देंहटाएंसामयिक दृश्यों पर खूबसूरत रंग बिखेरे हैं.गहन और अति गूढ़ चिंतन समाया है हर पंक्ति में,हम पढ़ कर धन्य हुए.
जवाब देंहटाएंबहुत गजब का लिखा है सर!
जवाब देंहटाएं----
कल 18/10/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
चलें गोली, फटें गोले, नहीं मतलब किसी को है
जवाब देंहटाएंजहाँ मुर्दार बस्ती हो, वहाँ नरमुण्ड नहीं हिलते,
गजब का लिखा है...
Agree.
behtreen saaj o sanyojan ke saath behtreen pratstuti ....
जवाब देंहटाएंaabhar
आज के समय को दर्शाती अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंजीवन की सच्चाई छुपी है आपके शब्दों में।
सजेगा “रूप” अब कैसे, यहाँ केशर की क्यारी का रिसाले अब अहिंसा के, दुकानों में नहीं मिलते
जवाब देंहटाएंbahut khoobsurat pangtiyan hain.....
खूबसूरत ग़ज़ल... बेहतरीन भाव...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुती....
जवाब देंहटाएंबहुत खूब...
प्रवाहपूर्ण सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंबहुत बेधक रचना है सर...
जवाब देंहटाएंसादर नमन...
सजेगा “रूप” अब कैसे, यहाँ केशर की क्यारी का
जवाब देंहटाएंरिसाले अब अहिंसा के, दुकानों में नहीं मिलते
आजकल तो एक से बढकर एक रचनायें आ रही है……………शानदार प्रस्तुति।
बहुत प्रभावशाली
जवाब देंहटाएंबहुत खूब.....शानदार प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर! बेहतरीन प्रस्तुती!
जवाब देंहटाएंसीधी सरल ... ओज़स्वी रचना है ..
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