गगन घनश्याम घिरे मितवा नयन में नीर तिरे मितवा नींद निगोड़ी नयनों के द्वारे आ कर रुक जाये बरखा बूंदन बाण चलावे जी मेरा घबराये द्वारे खड़ा बटोही सा हर स्वप्न पिफरे मितवा गगन घनश्याम घिरे मितवा नयन में नीर तिरे मितवा भीगा आँचल, भीगी पगडण्डी भीगी गलियाँ भीगी मन की डाल खिलें कैसे स्वप्निल कलियाँ साया बन आँगन में तेरी याद घिरे मितवा गगन घनश्याम घिरे मितवा नयन में नीर तिरे मितवा (आशा शैली) |
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शनिवार, 1 अक्तूबर 2011
"गगन घनश्याम घिरे मितवा" (प्रस्तोता-डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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bahut sundar pangtiya
जवाब देंहटाएंaap ka jababa nahi
sundar
सुन्दर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति| धन्यवाद्|
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति ||
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत बधाई ||
अति सुंदर रचना.
जवाब देंहटाएंरामराम.
सर्वप्रथम नवरात्रि पर्व पर माँ आदि शक्ति नव-दुर्गा से सबकी खुशहाली की प्रार्थना करते हुए इस पावन पर्व की बहुत बहुत बधाई व हार्दिक शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंगगन घनश्याम घिरे मितवा
नयन में नीर तिरे मितवा....बहुत खूब……
एक सुन्दर रचना से परिचय कराने का आभार।
जवाब देंहटाएंभीगी गलियाँ
जवाब देंहटाएंभीगी मन की डाल
खिलें कैसे स्वप्निल कलियाँ
साया बन आँगन में तेरी याद घिरे मितवा..
Awesome
.
भाव-भाषा सौंदर्य ने किसी और ही लोक में पहुँचा दिया.अद्भुत.
जवाब देंहटाएंAsha ji kee rachna prastuti ke liye aapka aabhar!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर रचना.
जवाब देंहटाएंभारत के सबसे ईमानदार और कर्मठ प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री के जन्म दिवस की शुभकामनाएं.