आज राम के देश में, फैला रावण राज। कैसे अब बच पाएगी, सीताओं की लाज।। गंगा बहती झूठ की, गिरी सत्य पर गाज। पापकर्म बढ़ने लगे, दूषित हुआ समाज।। लोकतन्त्र में हो रहा, कैसा गन्दा खेल। शासन में बढ़ने लगी, घोटालों की बेल।। ग्वाले मक्खन खा रहे, मोहन की ले ओट। सत्ता के तालाब में, मगर रहे हैं लोट।। आशा है मन में यही, आयेंगे अवतार। मेरे भारत देश का, होगा तब उद्धार।। |
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रविवार, 16 अक्तूबर 2011
" घोटालों की बेल" ( डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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धन्य-धन्य यह मंच है, धन्य टिप्पणीकार |
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति आप की, चर्चा में इस बार |
सोमवार चर्चा-मंच
http://charchamanch.blogspot.com/
आशा है मन में यही उतरेंगे अवतार ...
जवाब देंहटाएंयही आस विश्वास बनाये रखती है !
हम हिन्दुस्तानी तो वैसे भी अवतारों की राह देखते ही रहे हैं। अच्छे दोहे शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंवर्तमान परिस्थितियों में सन्नाट व्यंग मारती कविता।
जवाब देंहटाएंग्वाले मक्खन खा रहे, मोहन की ले ओट।
जवाब देंहटाएंहमें मिले ना मूँगफली , वो खायें अखरोट.
सामयिक चुटीले दोहे.
आज की परिस्थिति पर सटीक व्यंग
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर व्यंग्यात्मक दोहे।
जवाब देंहटाएंसटीक व्यंग..सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंश्री मान जी नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही बात कही है आपने, सब कुछ ऐसा ही हो रहा है |
सुंदर दोहे
जवाब देंहटाएंसटीक प्रस्तुति
बहुत बढ़िया दोहे प्रस्तुत किए हैं!
जवाब देंहटाएंइस रचना के माध्यम से आपने जो भी कहा है वह बिल्कुल सत्य है। अब तो सही में किसी अवतार का ही इंतज़ार है ताकि इस देश का उद्धार हो सके।
जवाब देंहटाएंसुबह के पहले रात की कालिमा और गहरी हो जाती है। वैसे अवतारों का इंतजार ना कर खुद ही कदम उठ जाएं तो बेहतर है।
जवाब देंहटाएंघोटालों की इस् विषबेल के खिलाफ अब जंग जरूरी है.
जवाब देंहटाएंबहुत ही संयत शब्दोँ मेँ भ्रष्टाचार व अन्याय व्यवस्था का सटीक चित्रण किया है आपने,उत्कृष्ट रचना,बधाई!
जवाब देंहटाएंमौजूदा दौर का बेहतर चित्रण।
जवाब देंहटाएंabhi to ye bel aur badhegee
जवाब देंहटाएंवास्तविक स्थिति का चित्रांकन है इस कविता के माध्यम से।
जवाब देंहटाएंआज की समाजिक व्यवस्था पर सटीक चोट
जवाब देंहटाएंआज की समाजिक व्यवस्था पर सटीक चोट
जवाब देंहटाएंbahut sunder :)
जवाब देंहटाएंआज के परिवेश में बदलते सामाजिक मूल्यों पर सटीक प्रहार .......
जवाब देंहटाएंचुटीली सामयिक छंद सर....
जवाब देंहटाएंसादर बधाई....
सटीक लेखनी ..वर्तमान के हालातो पर आधारित
जवाब देंहटाएंलाजवाब दोहे! सटीक चित्रण !
जवाब देंहटाएं