आदमी के वेश में, इन्सान आदमखोर है है हवाओं में जहर, हर ओर बरपा है कहर लूट-हत्याओं का आलम, छा रहा हर ओर है स्नेह बिन कैसे जलेगा, भाईचारे का दिया नफरतों ने काट दी, सम्बन्ध की अब डोर है घोसलों की हो हिफाजत, अब यहाँ कैसे भला पेड़ की हर शाख़ पर, बैठा हुआ जब चोर है दूध की अब है सुरक्षा, बिल्लियों के हाथ में अंजुमन में हो रहा अब, बन्दरों का शोर है “रूप” के मेले लगे हैं, बिक रही है आबरू आज भ्रष्टाचार का, कुछ ओर है ना छोर है |
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अच्छी कविता!
जवाब देंहटाएंsarthak sandesh....
जवाब देंहटाएंएक सटीक व सार्थक अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंकहीं तो जाकर रुक जाओ तुम।
जवाब देंहटाएंपूरा सटीक... आज कि व्यवस्था, इंसानों के आचरण, और राजनीती का पूरा दृश्य दिखाती|
जवाब देंहटाएंदीवाली कि हार्दिक शुभकामनायें!
स्नेह बिन कैसे जलेगा, भाईचारे का दिया
जवाब देंहटाएंनफरतों ने काट दी, सम्बन्ध की अब डोर है
..sach jitna log bewajah nafrat karne lagte hai utna bewajah prem nahi kar paate...
घोसलों की हो हिफाजत, अब यहाँ कैसे भला
पेड़ की हर शाख़ पर, बैठा हुआ जब चोर है
..bahut sahi baat...
saarthak prastuti..
aapko Deep parv kee spariwar haardik shubkamnayen!
स्थिति परिस्थिति का चित्र खींचती सटीक रचना!
जवाब देंहटाएंदूध की अब है सुरक्षा, बिल्लियों के हाथ में
जवाब देंहटाएंअंजुमन में हो रहा अब, बन्दरों का शोर है
बिलकुल सटीक बात कही सर!
सादर
सादर,शुभ- कामनाये सर! , खुबसूरत अभिव्यक्ति को सम्मान ,पावन पर्व की मुबारकवाद पहुचे ./
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर और सत्य का दर्शन कराती कविता...
जवाब देंहटाएंआपकी यह उत्कृष्ट प्रविष्टि कल दिनांक 24-10-2011 के सोमवारीय चर्चामंच http://charchamanch.blogspot.com/ पर भी होगी। सूचनार्थ
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा ग़ज़ल सर,
जवाब देंहटाएंबधाई...
आपको सपरिवार दीप पर्व की सादर बधाईयां....
gajab ki prastuti.har sher umdaa hai.
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं ||
जवाब देंहटाएंरचो रंगोली लाभ-शुभ, जले दिवाली दीप |
माँ लक्ष्मी का आगमन, घर-आँगन रख लीप ||
घर-आँगन रख लीप, करो स्वागत तैयारी |
लेखक-कवि मजदूर, कृषक, नौकर व्यापारी |
नहीं खेलना ताश, नशे की छोडो टोली |
दो बच्चों का साथ, रचो मिलकर रंगोली ||
सत्य को कहती अच्छी गज़ल ..
जवाब देंहटाएंबदलना होगा जीवनशैली को ..
जवाब देंहटाएंसपरिवार आपको दीपावली की शुभकामनाएं !!
सामयिक परिदृश्य पर सार्थक रचना.
जवाब देंहटाएंसच को आईना दिखाती रचना
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे भाव,सामाजिक परिवेश को दर्शाति उत्कृष्ट रचना,बधाई! दिपावली की सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंमौजूदा समय में समाज में फैली कुव्यवस्थाओं पर चोट करती पोस्ट।
जवाब देंहटाएंआभार.....
जीवन की सच्चाई दर्शाती रचना सुंदर पोस्ट बधाई .....दीपावली की हार्दिक शुभकामनाए ,......
जवाब देंहटाएंkhoobsoorat chitran ke saath saarthak rachnaa
जवाब देंहटाएंbahut badhiya!
जवाब देंहटाएंbahut badhiya!
जवाब देंहटाएंसार्थक अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंआप और आपके परिवार को दिवाली की ढेरों शुभकामनायें.